दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 : जमीनी हकीकत और संभावनाओं का विश्लेषण

दिल्ली में चुनावी बुखार चढ़ चुका है, और राजधानी की हर गली-चौराहे पर चर्चा है—इस बार कौन जीतेगा

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 : जमीनी हकीकत और संभावनाओं का विश्लेषण

अनिल शर्मा, दिल्ली

दिल्ली में चुनावी बुखार चढ़ चुका है, और राजधानी की हर गली-चौराहे पर चर्चा है—इस बार कौन जीतेगा? पिछले आठ दिनों के दिल्ली के विधानसभा चुनाव में मैने जिस धुआंधार ढंग से दिल्ली की विधानसभाओं का भ्रमण किया, लोगों से मुलाकात की, उससे जो तस्वीर उभरकर सामने आई है, उसके चलते ऊपरी तौर पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है। लेकिन जैसे ही मजदूर, पटरी दुकानदार, रेड़ी-ठिलिया वाले, ऑटो वाले, टैक्सी वाले, महिला, बेरोजगार युवा, मुस्लिम, सरदार तथा हिंदुओं के विभिन्न तबकों से गहराई से बातचीत की गई तो यह बात सर्वे में खुलकर सामने आई कि लगातार चौथी बार आम आदमी पार्टी अपनी सरकार बना ले तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए।

दरअसल दिल्ली में विधानसभा चुनावों का राजनीतिक परिदृश्य बेहद दिलचस्प और प्रतिस्पर्धात्मक है। यह स्पष्ट हो चुका है कि मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच है। जबकि कांग्रेस पार्टी इस दौड़ में पिछड़ती नजर आ रही है।

दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर जब राजनीतिक समीकरणों की गहराई से पड़ताल की गई, तो साफ हुआ कि ये चुनाव सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी नहीं, बल्कि दिलों की लड़ाई है। जहां एक तरफ आप अपने विकास कार्यों का झंडा बुलंद कर रही है, वहीं भाजपा अपनी राष्ट्रवादी राजनीति और संगठित रणनीति से मैदान मारने की कोशिश में है। कांग्रेस, जिसे कभी दिल्ली की राजनीति की महारानी कहा जाता था, अब महज 2 सीटों तक सीमित रहने का खतरा झेल रही है।

आप और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला

▪️आम आदमी पार्टी की जमीनी पकड़ और विकास के एजेंडे के चलते पार्टी को 40 से 50 सीटों तक मिलने की संभावना है।

▪️भाजपा अपनी सुदृढ़ संगठन शक्ति और राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता के सहारे 25 से 30 सीटों पर पहुंच सकती है।

▪️कांग्रेस पार्टी, जो कभी दिल्ली की राजनीति में मजबूत स्थिति में थी, अब महज 1-2 सीटों तक सिमट सकती है।

मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में आप का प्रभुत्व

दिल्ली की 15 मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर आप का वर्चस्व है। इनमें मटिया महल, बल्लीमारान, ओखला, और सीलमपुर जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस संघर्षरत हैं।

मटिया महल में 55% मुस्लिम वोटर हैं, जिससे यह आप के लिए सुरक्षित सीट मानी जा रही है। तो वहीं बल्लीमारान, औखल और सीलमपुर में 45 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम हैं। जबकि मुस्तफाबाद और किराणी में 35-35 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम समाज के हैं। जबकि गांधी नगर, सीमापुर, संगम बिहार, गोकुलपुरी, बाबरपुर में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 25 प्रतिशत है। इसके अलावा सदर बाजार, करावल नगर और जंगपुरा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 20 प्रतिशत है। ये 15 सीटें ऐसी हैं, जिनमें आप की जीत निश्चित मानी जा रही है।

भाजपा की मजबूत सीटें

भाजपा की मजबूती रिठाला, रोहिणी, राजौरी गार्डन, और मालवीय नगर जैसे क्षेत्रों में दिखाई दे रही है। भाजपा का ध्यान हिंदू मतदाताओं पर केंद्रित है, जो उसे मजबूती प्रदान कर सकता है। भाजपा नेताओं जैसे कपिल मिश्रा और हरीश खुराना की उम्मीदवारी पर पार्टी का विशेष ध्यान है। कपिल मिश्रा जैसे नेताओं की उम्मीदवारी से भाजपा ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह आक्रामक रणनीति अपनाने में पीछे नहीं हटेगी।


मुख्य उम्मीदवारों की स्थिति

पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने भाजपा के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित हैं।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जंगपुरा से और मंत्री गोपाल राय बाबरपुर से चुनाव लड़ रहे हैं।

वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी कालका जी से चुनाव लड़ रही हैं। जबकि बल्लीमारान से इमरान हुसैन, ग्रेटर कैलाश से सौरभ भरद्वाज, पूर्व मंत्री सतेंद्र जैन शकूरबस्ती से शाहदरा से सरदार जीतेंद्र सिंह संटी, चांदनी चौक से पूनरदीप साहनी, शालीमार बाग से वंदना कुमारी आदि प्रमुख नेता चुनाव लड़ रहे हैं।

भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना के पुत्र हरीश खुराना मोती नगर से मैदान में हैं।

भाजपा की अन्य सीटें जो मजबूत स्थिति में हैं, उनमें रिठाला से कुलवंद राणा, रोहिणी से विजेंद्र, राजोरी गार्डन से सरदार मनजिंद्र सिंह सिरसा, मालवीय नगर से भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय चुनाव मैदान में हैं। इसी तरह पटपड़गंज से रविंद्र सिंह नेगी, गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली, करावल नगर से पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा, मंगोलपुरी से राजकुमार चौहान और कस्तूरबा नगर से नीरज बसोया चुनाव लड़ रहे हैं।


चुनावी आंकड़ों का विश्लेषण

दिल्ली में कुल 70 सीटें हैं, जिन पर पिछले तीन चुनावों के परिणाम बताते हैं कि आप का दबदबा रहा है।

▪️2013 में 28 सीटें (आप ने पहली बार राजनीति में उतरकर धमाल मचाया)।

▪️2015 में आप ने 67 सीटें जीती थीं और भाजपा को केवल 3 सीटें मिलीं।

▪️2020 में आप ने 62 सीटों पर कब्जा किया, जबकि भाजपा को 8 सीटें मिलीं।

▪️कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार कमजोर रहा, और उसका वोट प्रतिशत 2020 में मात्र 4.26% रह गया।


दिल्ली का जनादेश : मतदाताओं का गणित

दिल्ली में कुल 1.56 करोड़ मतदाता हैं। इनमें:

पुरुष वोटर: 83.76 लाख
महिला वोटर: 72.36 लाख
ट्रांसजेंडर वोटर: 1,267

विश्लेषण और निष्कर्ष

▪️महिलाओं और युवाओं का वोट इस बार निर्णायक भूमिका निभाएगा। फ्री बिजली, पानी, और शिक्षा जैसी योजनाएं महिला वोटरों को "आप" की तरफ खींच रही हैं, तो युवाओं में बेरोजगारी भाजपा के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकती है। 

▪️दिल्ली में आम आदमी पार्टी की पकड़ अब भी मजबूत दिखाई दे रही है। विकास के एजेंडे और स्थानीय मुद्दों पर काम करने के चलते आप जनता का भरोसा जीतती दिख रही है।

▪️भाजपा का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है, लेकिन वह आप को पूर्ण बहुमत से रोकने में असमर्थ नजर आ रही है।

▪️कांग्रेस का पुनरुत्थान इस चुनाव में असंभव दिखता है।

संभावित परिणाम

आप: 40-50 सीटें
भाजपा: 25-30 सीटें
कांग्रेस: 1-2 सीटें

क्या आप की ‘झाड़ू’ चौथी बार चलेगी, या भाजपा का ‘कमल’ खिलेगा?
इसका जवाब मिलेगा तब, जब दिल्ली के वोटर लोकतंत्र के इस महायज्ञ में अपनी आहुति देंगे।

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