आश्रम में होने वाले भण्डरों में सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग में आई कमी
सुरिजकुण्ड आश्रम में होने वाले भण्डरों में सिंगल यूज प्लास्टिक एवं थर्मोकोल से बने उत्पाद के प्रयोग में आयी कमी...

रंग ला रही डीएफओ की पहल
चित्रकूट। सुरिजकुण्ड आश्रम में होने वाले भण्डरों में सिंगल यूज प्लास्टिक एवं थर्मोकोल से बने उत्पाद के प्रयोग में आयी कमी। नदियों के किनारें स्थापित चिन्हित 19 आश्रम सुरिजकुण्ड आश्रम, मत्तेगजेन्द्रनाथ आश्रम रामघाट, हनुमान मनसापूर्ण आश्रम, अकेलवा बाबा आश्रम परसौंजा, कबीर आश्रम हरदौली, कुटी आश्रम अर्की, सगवारा की कुटी, पाण्डेय जी की कुटी, चौसठ माता मंदिर पनौटी, बलकेश्वरी माता मंदिर लोहदा, राघवपुरी दास जी महाराज की कुटी, बजरंगबली आश्रम-1, बजरंगबली आश्रम-2, देवल की कुटी, चौसड योगिनी मंदिर, भैरम बाबा आश्रम, छेवी जी का मंदिर दरसेंडा, गोंदिया बाबा कुटी, शंकर जी का आश्रम, बाल्मीकि आश्रम लालापुर तथा अन्य चार वृहद स्तर में होने वाले लैना बाबा आश्रम शिवरामपुर, बरहा के हनुमान जी खोही, परानू बाबा गढवा, नॉदी के हनुमान जी आश्रमों हैं।
इन आश्रमों में भण्डारें में प्रयोग हो रहे सिंगल यूज प्लास्टिक एवं थर्मोकोल से बने उत्पादों के प्रयोग को रोकने के लिए जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी के दिशा निर्देशन में 23 आश्रमों में व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार एवं संचालको एवं संाधु-सन्तों के साथ समन्वय स्थापित तथा बैठक कर भण्डारें में प्रयोग हो रहे सिंगल यूज प्लास्टिक एवं थर्मोकोल से बने उत्पाद को रोकने हेतु प्रत्येक आश्रम के लिए जिला स्तरीय अधिकारी नामित किये गये थे। जिसके क्रम ग्राम पंचायत चन्द्रगहना के अर्तगत सुरिजकुण्ड उपनिदेशक रानीपुर टाइगर रिजर्व नामित है। उन्होंने दिसम्बर 2024 से प्रत्येक माह भण्डारे में प्रयोग हो रहे सिंगल यूज प्लास्टिक एवं थर्मोकोल से बने उत्पाद के रोकथाम के लिए मंदिर के संचालक संतो, कीर्तन करने वाले भक्तों के साथ बैठक किया। आश्रम का भ्रमण कर सिंगल यूज प्लास्टिक एवं थर्मोकोल से बने उत्पाद के प्रयोग पर हानिकारक प्रभाव तथा उसके जगह प्रयोग किये जाने वाले विकल्प पर चर्चा हुयी। बैनर लागवे गये। आश्रम के संचालक संन्त रामवदन दास द्वारा भण्ड़रा करने वाले भक्तो से निरन्तर कहने लगे कि आश्रम में कागज या पत्तों के पत्तल में भण्डारें करें। ताकि आश्रम में साफ सफाई रहे और आश्रम के आसपास सिंगल यूज प्लास्टिक तथा थर्मोकोल से बने उत्पाद दोना, पत्तल आदि न जमा होगी। इन्ही सतत प्रयासों से आश्रम होने वाले भण्डरों में सिंगल यूज प्लास्टिक एवं थर्मोकोल से बने उत्पाद के प्रयोग में कमी आयी है।
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