परम्परागत संगीत के साथ मनेगी दिवाली
दो दशक पूर्व कोल बाहुल्य गांव में जाड़े के दिनों में निजी समारोहों, सामाजिक पर्वों में ढोल नगड़िया की थाप में गीत एवं नृत्य के...

चित्रकूट। दो दशक पूर्व कोल बाहुल्य गांव में जाड़े के दिनों में निजी समारोहों, सामाजिक पर्वों में ढोल नगड़िया की थाप में गीत एवं नृत्य के स्वर सुनाई दिया करते थे। भौतिक विकास की चकाचौंध में धीरे धीरे सब कुछ छूटता गया। पुराने ढोलक, नगड़िया टूट फूट गए, काम के नहीं रहे। गाने, बजाने, नाचने वाली पीढ़ी भी या तो संसार से विदा हो गई या जो वृद्धजन बचे, उनकी कोई आवाज नहीं रही। मनोरंजन का एकांतिक आधार मोबाइल आ गया, अन्य किसी की जरूरत रही नहीं। सामाजिक ताना बाना जोरों से प्रभावित हो रहा है, परिवार इकाई टूट रही है।
ऐसे में अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के सहयोग से वानप्रस्थ संगठन के बलवीर सिंह के नेतृत्व में कर्वी चित्रकूट के कुछ शक्तियां को 19 अक्टूबर को मानिकपुर के डोडामाफी में बिजहना नाम के छोटे से मजरे में आदिवासी कोलों के साथ दीवाली उपहार देने, उनके साथ सहभोज में शामिल होने पहुंच रहे हैं। इस समाचार से प्रमुदित होकर अपनी पुरानी परंपरा के स्वागत की उन्हें याद आ रही है। पुरानी परंपरा में ढोल नगड़िया की थाप में कोलहाई, टिप्पा, सजनई, राई आदि के गीत एवं नृत्य उनकी स्मृति में आ रहे हैं। नगड़िया, मजीरे की चाहत संस्थान के माध्यम से आज पूरी हो रही है। संगीत उपकरण देखकर सभी आदिवासियों के चेहरों की मुस्कान, उमंग, विश्वास देखने योग्य रही। ज्ञातव्य हो कि अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान द्वारा जुलाई 2025 से सघन रूप से डोडा माफी सहित पड़ोसी पांच ग्राम पंचायतों के 15 गांवों में पंचतत्व संरक्षण एवं विकास के लिए काम करना प्रारंभ किया जा चुका है। वर्तमान में डोडा गांव में मेडबंदी, बागवानी, प्राकृतिक खेती के प्रदर्शन आदि कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं।
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