नाबार्ड के सहयोग से कृषि विश्वविद्यालय में आईएफएस मॉडल की खेती का शुभारम्भ

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड बुंदेलखंड के किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए आगे आया है..

Jun 28, 2021 - 05:06
Jun 28, 2021 - 05:13
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नाबार्ड के सहयोग से कृषि विश्वविद्यालय में आईएफएस मॉडल की खेती का शुभारम्भ
नाबार्ड के सहयोग से कृषि विश्वविद्यालय

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड बुंदेलखंड के किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए आगे आया है। कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा द्वारा विकसित एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) मॉडल के माध्यम बुंदेली किसानों की दशा और दिशा बदली जाएगी।

इसके लिए नाबार्ड ने बुंदेलखंड क्षेत्र में सतत आजीविका के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली के माध्यम से बहुस्तरीय रोजगार सृजन परियोजना स्वीकृत की है। यह परियोजना पहली जुलाई 2021 से शुरू की जाएगी। परियोजना लागत 30,98,000 रुपये है। पहले चरण में नाबार्ड ने 24,68,000 रुपये अनुदान दिया है। रविवार को अध्यक्ष, नाबार्ड डॉ. जीआर चिंतला और मुख्य महाप्रबंधक डॉ. दुष्यंत चैहान ने कृषि विश्वविद्यालय में आईएफएस मॉडल का अवलोकन किया।

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बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा में  नाबार्ड के अध्यक्ष, डा.जी. आर. चिन्ताला तथा मुख्य महाप्रबन्धक, नाबार्ड, लखनऊ डा. डी. एस. चैहान की उपस्थिति में कुलपति डा. यू.एस.गौतम के अध्यक्षता में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम आयोजन का मुख्य उद्देश्य नाबार्ड बैंक के सहयोग से एक परियोजना तथा उससे सम्बन्धित स्वीकृति पत्र प्रदान किया जाना था। परियोजना ‘‘मल्टी लेवल इम्प्लाईमेन्ट जेनरेशन  इन्टीग्रटेड फार्मिंग सिस्टम फार सस्टेनेबल लाइवलीहुड इन बुन्देलखण्ड रिजन’’ के नाम से विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किया जा रहा है। परियोजना के प्रमुख अनुवेषक सहायक प्राध्यापक, सस्य विज्ञान, डा. अनिकेत काल्हापुरे हैं।

 इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व चेयरमैन, नाबार्ड, डा. जी. आर. चिन्ताला ने अपने उद्बोधन में कहा कि बुन्देलखण्ड सुना था आज देख भी लिया। यहाँ के जन जीवन को देखना अपने आप में एक नया अनुभव है जो विश्वविद्यालय आकर पूरा हुआ। हमने जितना महसुस किया यहाँ बरसात है फिर भी पानी नहीं है, पानी है पर रूकता नहीं है, गाय है पर दूध नहीं हैं, खेत है पर खेती नही है यह विचारणीय है इसे सोच समझ कर, योजनाबद्ध तरीके से इस पर कार्य करना होगा। डा. चिन्ताला ने कहा कि गाय को हम माँ मानते है उसे हम कैसे बेसहारा छोड़ सकते है। खेती में पशुपालन एक आवश्यक घटक है। किसानों को इसे अपनाना होगा, जिससे यहाँ कुरीति अन्ना प्रथा दूर किया जा सके। 

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डा0 चिन्ताला ने कहा कि बुन्देलखण्ड के किसानों को प्रसार गतिविधियों के माध्यम से प्रोत्साहित करना चाहिये। उन्होने कृषि में महिलाओं के योगदान पर भी प्रकाश डाला एवं कहा कि कृषि आधारित कुटीर उद्योगों के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण को और बल मिलेगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मुख्य महाप्रबन्धक, नाबार्ड, लखनऊ, डा. डी. एस. चैहान ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह अत्यन्त आवश्यक है कि आधुनिक तकनीकियों को कृषि से जोड़ा जाय जिसके माध्यम से वास्तव में किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं तकनीकी के बिना आगे बढ़ना मुश्किल है।

नाबार्ड के सहयोग से कृषि विश्वविद्यालय

शिक्षा सूचना प्रौद्योगिकी को एक साथ जोड़कर वैज्ञानिक तरिके से कृषि के क्षेत्र में विकास किया जा सकता है। इस क्षेत्र में कृषि विश्वविद्यालय बाँदा एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा सकता है। परियोजनाओं का परिणाम कृषकों तक पहुँचाना आवश्यक है। समय, परिस्थिति, स्थान तथा उपलब्ध संसाधनों से एकीकृत फसल प्रणाली को कृषि का मुख्य आधार बनाया जा सकता है। डा0 चैहान ने कहा कि नाबार्ड की टीम कृषि विश्वविद्यालय से मिलकर कृषि के क्षेत्र में अच्छा कार्य करेगी। कृषक, वैज्ञानिक, सामुदायिक संगठन तथा प्रकृति के साथ मिलकर बुन्देलखण्ड का विकास सम्भव है। 

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कुलपति, डा. यू0एस0गौतम ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में विश्वविद्यालय की विगत तीन वर्षों की गतिविधियों पर प्रकाश डाला एवं विश्वविद्यालय द्वारा बुन्देलखण्ड कृषि के विकास में दिये जा रहे योगदान से को अवगत कराया।

साथ ही उन्होने नाबार्ड को यह विश्वास दिलाया कि आगामी निकट वर्ष में विश्वविद्यालय समन्वित कृषि प्रणाली के विभिन्न माॅडल्स को विकसित करेगा। अतिथियों द्वारा विश्वविद्यालय के विभिन्न संचालित उपक्रमों का भ्रमण किया गया तथा आई0एफ0एस0 माॅडल में वृक्षारोपण भी किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन एवं अतिथियों के स्वागत से हुआ। 

नाबार्ड के सहयोग से कृषि विश्वविद्यालय

अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डा0 जी0 एस0 पंवार ने सभी का स्वागत करते हुये स्वागत भाषण दिया। डा0 नरेन्द्र सिंह, ई0 संजय कुमार, डा0 मयंक दूबे, डा0 सौरभ, डा0 दिप्ती भार्गव एवं डा0 अनिकेत काल्हापुरे आदि ने बुन्देलखण्ड में कृषि की विविधताओं एवं सम्भावनाओं पर पावरप्वाण्ट के माध्यम से प्रस्तुति दिया। कार्यक्रम में अग्रणी किसानों जैसे असलम खान, श्रीमती मालती दीक्षित ने अपने विचार भी रखे। कार्यक्रम में डी0जी0एम0, नाबार्ड, डा0 पी साहू तथा डी0डी0एम0 नाबार्ड, श्री संदीप कुमार एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहें।

बाँदा जिले के नाबार्ड के सहयोग से बनाये गये एफ0पी0ओ0 के प्रतिनिधि भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अन्त में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा0 एस0 के सिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में मुख्य तौर पर डा0 एस0बी द्विवेदी, डा जी0 एस0 पंवार, डा0 वी0के0सिंह, डा0 प्रिया अवस्थी सहित अन्य शिक्षकगण मौजुद रहे।

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