कृषि विश्वविद्यालय में अलग अलग सात राज्यों के अभ्यर्थी चयनित हुए
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा फिर कहा गया है कि विश्वविद्यालय को भर्तियों के संबंध में लगातार समाचार पत्रों व सोशल मीडिया के माध्यम..
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा फिर कहा गया है कि विश्वविद्यालय को भर्तियों के संबंध में लगातार समाचार पत्रों व सोशल मीडिया के माध्यम से बदनाम किया जा रहा है,जबकि भर्तियों में किसी तरह की अनियमितताएं नहीं की गई है।जो अभ्यर्थी चयनित हुए हैं वह देश के अलग-अलग सात राज्यों के हैं।
इस बारे में जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ बीके गुप्ता ने बताया कि बताया कि विज्ञापन संख्या 01/2020 एवं विज्ञापन संख्या 01/ 2021 के द्वारा शैक्षणिक श्रेणी के कुल 40 पदों (प्राध्यापक के 8 पद, सह प्राध्यापक के 14 पद तथा सहायक प्राध्यापक के 18 पद) को विज्ञापित किया गया था जिसमें से अनारक्षित श्रेणी के 18 पद ,अन्य पिछड़ा वर्ग के 11 पद, अनुसूचित जाति के 9 पद तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 2 पद विज्ञापित किए गए थे।दोनों विज्ञापनों में विज्ञापित कुल 40 पदों में 24 पदों पर उपयुक्त अभ्यर्थी पाए गए।जिनमें आरक्षित श्रेणी के 16 पद अन्य पिछड़ा वर्ग के 5 पद एवं अनुसूचित जाति के 3 पदों पर अभ्यर्थियों का चयन किया गया। शेष 16 पदो में उपयुक्त अभ्यर्थी न पाए जाने के कारण पद रिक्त रह गए।
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जनसंपर्क अधिकारी डॉ बीके गुप्ता ने बताया कि चयनित अभ्यर्थी देश के सात अलग-अलग राज्यों बिहार ,महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश उत्तराखंड, राजस्थान एवं हरियाणा से आए हुए हैं। विश्वविद्यालय में विभिन्न गतिविधियां संचालित हैं ऐसे में समय-समय पर शिक्षकों एवं वैज्ञानिकों की कमी से कार्य संपादन करने में कठिनाई होती थी।अब चयनित सभी अभ्यर्थी अपने क्षेत्र में योग्यता एवं व्यापक अनुभव द्वारा विश्वविद्यालय में शिक्षा, शोध एवं प्रसार के कार्यों को निश्चित रूप से गति प्रदान करेंगे।
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा मीडिया के माध्यम से विश्वविद्यालय के बारे में तथ्य हीन जानकारी प्रकाशित की जा रही है जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने भर्ती प्रक्रिया में अपनाए गए चयन मापदंड का पालन पूरी पारदर्शिता के साथ किया है। वहीं दूसरी ओर विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने महामहिम राज्यपाल को पत्र भेजकर भर्तियों में अनियमितताएं करने का आरोप लगाते हुए मामले की जांच होने तक विश्वविद्यालय के संबंधित पदाधिकारियों को अधिकार मुक्त करने की मांग की है।साथ ही नियुक्तियों के मामले में प्रत्यक्ष रूप से शामिल कुलपति को प्रस्तावित जांच तक निलंबित करने की मांग की है ताकि दस्तावेजों में छेड़छाड़ ना हो सके।
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