"शिव कृष्ण हॉस्पिटल डायरेक्टर अरुणेश सिंह ने सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों को किया खारिज, पेश किए सबूत"
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर शिव कृष्ण मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के निदेशक अरुणेश सिंह और एडीएम...

बांदा। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर शिव कृष्ण मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के निदेशक अरुणेश सिंह और एडीएम एफ/आर राजेश वर्मा को लेकर व्यापारिक व व्यक्तिगत संबंधों को लेकर कई तरह की अटकलें और टिप्पणियां की जा रही थीं। अब इस पूरे मामले पर अरुणेश सिंह ने सार्वजनिक रूप से सामने आकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है और सबूतों के साथ सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों का खंडन किया है।
अरुणेश सिंह ने अपने लिखित बयान में कहा कि, "मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यह स्पष्ट करता हूं कि मेरे व्यवसाय या किसी आर्थिक क्रिया-कलाप से राजेश वर्मा, उनकी पत्नी या मेरी पत्नी संगीता सिंह का कोई संबंध नहीं है।"
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शिव कृष्ण मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल और शिव कृष्ण डायग्नोस्टिक सेंटर दो अलग-अलग संस्थाएं हैं। डायग्नोस्टिक सेंटर नरैनी में स्थित है और यह उनकी निजी व्यावसायिक पहल है। इसी केंद्र में श्रीमती सोनी वर्मा ने 3.6 लाख रुपये की पूंजी निवेश की थी, जिसके बाद उन्हें कानूनी सलाह के बाद 30% की साझेदारी दी गई। "श्रीमती सोनी वर्मा एक गृहिणी हैं और किसी भी वैध व्यापार में भाग ले सकती हैं," उन्होंने कहा।
अरुणेश सिंह ने आगे कहा कि केंद्र के वित्तीय लेन-देन और खाता विवरण पूरी तरह पारदर्शी हैं। "इस केंद्र की आय 50 से 60 हजार मासिक से अधिक नहीं है, और प्रारंभ के तीन महीनों में यह घाटे में रहा, जिसे मैंने स्वयं वहन किया"।
भूमि विवाद पर भी दी सफाई
ग्रीनलैंड स्थित संपत्ति को लेकर उठे विवाद पर भी अरुणेश सिंह ने तथ्य रखे। वर्ष 2017-18 में खरीदी गई इस भूमि पर नक्शा पास कराकर भवन निर्माण कराया गया था। बाद में भवन को सील किया गया, जिसे उन्होंने कमिश्नर कोर्ट से जीतकर खुलवाया। तत्पश्चात लगभग 1200 अन्य स्थानीय लोगों के साथ मिलकर उन्होंने नरैनी रोड की भूमि के भू-प्रयोग परिवर्तन के लिए आपत्ति दर्ज की, जिसे बांदा विकास प्राधिकरण द्वारा महायोजना 2021 में मान्यता दी गई।
एडीएम राजेश वर्मा पर लगे आरोपों को बताया बेबुनियाद
अरुणेश सिंह ने जोर देकर कहा कि राजेश वर्मा इस संपूर्ण प्रक्रिया में किसी भी पद पर नहीं थे और न ही उनका इसमें कोई हस्तक्षेप रहा है। "42 लाख की कथित धोखाधड़ी का आरोप पूरी तरह मनगढ़ंत है और किसी व्यक्ति विशेष द्वारा एक ईमानदार अधिकारी की छवि को धूमिल करने की साजिश है," उन्होंने आरोप लगाया।
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भू-प्रयोग परिवर्तन की प्रक्रिया हर जिले में समय-समय पर होती है और यह उत्तर प्रदेश सरकार की योजना के अंतर्गत की गई है। "मैं प्रत्येक जांच के लिए पूर्णतः तैयार हूं और मेरे द्वारा संचालित हर संस्था का संचालन वैधानिक रूप से एक ही पैन नंबर से किया जाता है," अरुणेश सिंह ने स्पष्ट किया।
अंत में उन्होंने जनता और मीडिया से अपील की कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और सत्य व साक्ष्य के आधार पर ही निष्कर्ष निकालें।
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