बिहार मतदाता सूची विवाद पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, हटाए गए 65 लाख नामों का पूरा ब्योरा मंगलवार तक सार्वजनिक करने के निर्देश
बिहार में चल रही विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कड़े निर्देश जारी किए हैं...

पटना। बिहार में चल रही विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कड़े निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने आदेश दिया कि ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए गए लगभग 65 लाख मतदाताओं का पूरा विवरण मंगलवार तक जिला स्तर पर संबंधित वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि हटाए गए नामों के कारण — जैसे मृत्यु, स्थायी प्रवास या नाम का दोहराव — साफ-साफ बताए जाएं। साथ ही बूथ स्तर के अधिकारी (BLO) अपने-अपने क्षेत्र में हटाए गए मतदाताओं की सूची सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करें, ताकि प्रभावित लोग समय पर आवश्यक कार्रवाई कर सकें।
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48 घंटे में सूची प्रकाशित करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि नोटिस में आधार और EPIC कार्ड जमा करने के विकल्प का भी उल्लेख हो, ताकि जिन लोगों ने अभी तक ये दस्तावेज़ नहीं दिए हैं, वे समय रहते जमा कर सकें। अदालत ने जिला स्तर पर हटाए गए नामों की सूचियां 48 घंटे के भीतर प्रकाशित करने और व्यापक स्तर पर प्रचार करने को भी कहा। मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
मतदाता सूची से नाम हटाने पर कड़ी टिप्पणी
जस्टिस बागची ने कहा कि किसी का नाम सूची से हटाना केवल विशेष परिस्थितियों में ही स्वीकार्य है और इसके लिए मानक प्रक्रिया के तहत अपील का अवसर व व्यापक प्रचार जरूरी है। उन्होंने जोर देकर कहा, “यह नागरिकों का मौलिक अधिकार है कि वे जानें कि उनका नाम क्यों हटाया जा रहा है।”
मृत घोषित मतदाताओं पर सवाल
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मृत घोषित किए गए मतदाताओं की पहचान पर गंभीर सवाल पूछे और पारदर्शिता की मांग की। आयोग ने बताया कि 1 जनवरी 2025 तक राज्य में 7.90 करोड़ मतदाता थे, जिनमें से 7.24 करोड़ ने फॉर्म भर दिया है और 65 लाख शेष हैं, जिनमें 22 लाख की मृत्यु हो चुकी है। कोर्ट ने पूछा, “ऐसी क्या व्यवस्था है कि परिवार को यह पता चल सके कि सदस्य को मृत घोषित कर दिया गया है?”
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राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़
वैशाली सांसद वीणा देवी ने कहा कि मतदाता सूची की शुद्धता जरूरी है, लेकिन प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। तेजस्वी यादव ने इसे “वोटबंदी” करार देते हुए आरोप लगाया कि BLO बिना जांच के गरीब और कमजोर वर्ग के नाम काट रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि गड़बड़ियां ठीक न होने पर वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने SIR प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार किया, लेकिन पारदर्शिता पर सख्ती बरकरार रखी। अदालत ने आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को पहचान के वैध दस्तावेज़ मानने का सुझाव दिया।
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