किसानों की धान की पौध तैयार हो तो अतिशीघ्र रोपाई कार्य पूर्ण कर लेंः कुलपति
कृषि विश्वविद्यालय बांदा के कुलपति डा. यू.एस. गौतम ने कृषकों से अपील की है कि वर्तमान समय में जबकि वर्षा पर्याप्त हो रही है..
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कृषि विश्वविद्यालय बांदा के कुलपति डा. यू.एस. गौतम ने कृषकों से अपील की है कि वर्तमान समय में जबकि वर्षा पर्याप्त हो रही है, धान के तैयार पौध को मुख्य खेत में रोपाई का कार्य समय पर पूर्ण करलें, जिससे अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें।
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उन्होने बताया कि वर्तमान में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मानसूनी बारिश से खेती किसानी का कार्य प्रगति पर है। ऐसे में किसान दलहनी, तिलहनी फसलों के साथ-साथ धान की रोपाई भी कर रहे हैं।बुन्देलखण्ड के कई जिलों में धान की खेती भी मुख्य फसल के साथ अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाये हुए है।
बांदा जिले के अतर्रा, नरैनी, कमासिन, बिसण्डा, बबेरू, तथा महुआ ब्लाकमें धान की खेती वृहद क्षेत्र में की जातीहै। यहां की धान जिसमें मुख्य रूप से परसन बासमती, तथा महाचिन्नावर के बाजार भाव अन्य प्रजातियों की तुलना में ज्यादा है, एवं उपभोक्ताओं को उसकी स्वाद एवं खुशबू आकर्षित करतीहै।
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कृषिविश्वविद्यालय बांदा के शस्य वैज्ञानिक तथा कृषिमहाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रोफेसर जी.एस. पंवार ने बताया कि विश्वविद्यालय मौसम वेधशाला से प्राप्त आकड़ों के अनुसार जनपद में अभी तक कुल वर्षा 454 मिमी तक हो चुकी है। जुलाई माह में अभी तक लगभग 324 मिमी वर्षा हो चुकी है जोकि गतवर्ष की तुलनामें (262 मिमी) से अधिक है।
इस वर्षा का लाभ धान उत्पादक किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।वर्षा जल के कारण कृषकों को धान की रोपाई के लिए खेतों में पानी लगाने से निजात मिल रहीहै। धान की फसल पर अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के वाराणसी केन्द्र के सहयोग से विश्वविद्यालय में शोध कार्य चल रहा है।
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शोध कार्य देख रहे शस्य वैज्ञानिकप्रोफेसर जी.एस. पंवार ने किसानों को सुझाव दिया कि, जिन किसानों की धान की पौध तैयार हो गयी है वह अतिशीघ्र रोपाई कार्य पूर्ण करलें। प्रोफेसर पंवार ने बतायाकि कम आयु की पौध उत्तम रहती है अतः इस मौसममें कम आयु की पौध भी लगा सकते है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मुख्यतः पन्तधान-24, शरबती, सोनम, परसन बासमती, महाचिन्नावर, बासमती 1121, पूसा 1718, तथा संकर धान काफी क्षेत्र में लगाया जा रहा है, जोकि यहां के भौगोलिकपरिस्थिति के लिए उपयुक्त है। प्रो0 पंवार ने बताया कि यदि पौध की आयु 25 से 30 दिन के मध्य है।
तो सिंगल पौध की रोपाई करें। यदि पौध की आयु 30 से 40 दिन के ऊपर है, तो दो पौधों की रोपाई एक साथ करें, साथही लवणीय/क्षारीय भूमि में अधिक आयु की पौध प्रयोगकरें।इसका उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है।
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