रेडक्रॉस सोसाइटी के सहयोग से टीबी मरीजों व कुपोषित बच्चों को बांटे पोषण किट
सरकारी सेवा में रहते एक कुशल समाजसेविका की भूमिका निभाते हुए जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जीएन की धर्मपत्नी डॉक्टर तनुषा...

कुशल समाजसेविका की भूमिका निभा रहीं चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर तनुषा टीआर
चित्रकूट। सरकारी सेवा में रहते एक कुशल समाजसेविका की भूमिका निभाते हुए जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जीएन की धर्मपत्नी डॉक्टर तनुषा टीआर चिकित्सा अधिकारी जिले में टीबी मरीजों और कुपोषित बच्चों के लिए सेवा कर रही हैं। जब से जिले में उनका आगमन हुआ और चिकित्सा अधिकारी का पद निर्वहन की जिम्मेदारी मिली। उन्होंने पूर्ण समर्पण और सेवा भाव से कुपोषित बच्चों टीबी के मरीजों की सेवा कर रही हैं। बिना किसी भेदभाव और छुआछूत के वह कुपोषित बच्चों को गले लगा लेती हैं। गोद में लेती हैं उन्हें दुलारती हैं उनके स्वस्थ एवं बलिष्ठ होने की कामना करती हैं। माताओं को वह शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता का पाठ पढ़ाती हैं।
समाजसेविका, चिकित्साधिकारी डॉक्टर तनुषा टीआर रेडक्रॉस सोसाइटी के सहयोग से टीबी मरीजों और कुपोषित बच्चों को पोषण किट का वितरण कर रही हैं। पोषण किट में मूंगफली, सोयाबीन, गुड भुजा चना प्रदान किया जा रहा। अब तक उन्होंने ब्लाक रामनगर, करवी तथा मानिकपुर में 400 अत्यंत गरीब, कोल आदिवासी परिवार की गर्भवती महिलाओं व कुपोषित बच्चों और टीबी ग्रसित मरीजों को स्वस्थ बनाने का बीड़ा उठाया है। डॉक्टर तनुषा प्रतिदिन जिला अस्पताल पहुंचकर कुपोषित बच्चों गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके खान-पान की देखरेख खुद करती हैं, उन्हें शुद्ध देसी खानपान के लिए प्रेरित भी करती हैं।
उनका कहना है की देसी खाना खाएं अपना स्वास्थ्य बनाएं। चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर तनुषा टीआर आमजन के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए उनके स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए विभिन्न प्रकार के मिलावटी खाद्य पदार्थों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी है। उनका कहना है कि जो भी खाना हो देसी खाना खाएं बाहरी खाना न खाएं। कोई भी प्लास्टिक पैक खाद्य पदार्थ न खाएं। प्लास्टिक विभिन्न बीमारियों को जन्म दे रही है। जब से प्लास्टिक का चलन बढ़ गया है तब से प्रदूषण बढ़ा और खाद्य सामग्री भी बेहद जहरीली हो गई। उनका कहना है कि पहले बाजार में कागज के थैलों में सामान मिलता था आजकल जहां देखो वहीं प्लास्टिक का चलन बढ़ गया है हर सामान प्लास्टिक की थैली में दुकानदार दे रहे हैं। प्लास्टिक में ही तेल, घी, दूध आदि खाद्य सामग्री पैक होकर उपभोक्ताओं को परोसी जा रही है,जो जन स्वास्थ्य के खिलाफ है। इतना ही नहीं हमारी धरती माता की जान भी खतरे में है,निकट भविष्य में बहुत बड़ी स्वास्थ्य समस्या खड़ी होगी यदि समय रहते प्लास्टिक उपयोग को पूर्ण प्रतिबंधित न किया गया। उनके सामाजिक कार्यों की चहुंओर प्रशंसा हो रही है।
What's Your Reaction?






