बकस्वाहा में 17 गांवों के बेरोजगार युवाओं ने रोजगार देने कोें, डायमंड प्रोजेक्ट शुरू करने की पीएम से लगाई गोहार
बकस्वाहा अंचल के घने जंगलों के नीचे छुपे हीरों के भंडार को लेकर तैयार डायमंड प्रोजेक्ट इन दिनों सुर्खियों में है। अभी विरोध के स्वर थमे..

बकस्वाहा अंचल के घने जंगलों के नीचे छुपे हीरों के भंडार को लेकर तैयार डायमंड प्रोजेक्ट इन दिनों सुर्खियों में है। अभी विरोध के स्वर थमे नहीं है वहीं समर्थन के स्वर भी मुखर होने लगे हैं। बकस्वाहा अंचल के 17 गांवों के बेरोजगार युवाओं ने पीएम को पत्र भेजकर उन्हें रोजगार देने के लिए डायमंड प्रोजेक्ट शीघ्र शुरू कराने की मांग की है।
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जिले के बकस्वाहा अंचल में हीरों का अकूत भंडार छुपा है। पहले हीरों के उत्खनन में लगी रियोटिंटो कंपनी बीच में ही काम छोड़कर आस्ट्रेलिया चली गई। अब हीरों के उत्खनन के लिए जैसे ही एस्सेल माइनिंग के नाम डायमंड प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ तो पूरे देश की निगाहें इस पर लग गई हैं। इस प्रोजेक्ट को लेकर अभी तक देश के कोने-कोने से किसी न किसी रूप में सक्रिय विरोध करने वालों की हलचल ज्यादा थी, अब इसके समर्थन में स्थानीय युवकों के आ जाने से प्रोजेक्ट के विरोधी व समर्थक आमने-सामने आ गए हैं।
डायमंड प्रोजेक्ट के अंतर्गत बकस्वाहा अंचल के ग्रामों में विरामपुरा, तिलई, हरदुआ, हिरदेपुर, कसेरा, निमानी, जागरा, मझोरा, दरदोनिया, सगोरिया, हिनोता, टपरिया, गढ़ोही, भड़ाटोर, जरा, तेरियामार और शहपुरा गांव आते हैं। इनमें से अधिकांश गांवों में सड़क, स्वस्थ, शिक्षा, बिजली और पेयजल सहित सिंचाईं के साधन न होने की समस्या है। जिससे बड़ी संख्या में यहां के युवा बेरोजगार हैं। इन गांवों के सैकड़ों बेरोजगार युवाओं ने पीएम के नाम पत्र भेजकर एस्सेल माइनिंग के डॉयमंड प्रोजेक्ट को जल्दी शुरू करने की गुहार लगाई है।
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इस पत्र में युवाओं ने लिखा है रियोटिंटो कंपनी के बंदर डायमंड प्रोजेक्ट से क्षेत्र के 400 से ज्यादा परिवारों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला था। साथ ही क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी कंपनी ने दी थीं। रियोटिंटो कंपनी जाने के बाद अब यहां के युवा रोजगार के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं। अब उन्हें एस्सेल माइनिंग डायमंड प्रोजेक्ट से रोजगार व क्षेत्र के कायाकलप की उम्मीद है। बेरोजगारी से परेशान होकर वे रोजगार के लिए पलायन को मजबूर हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि जल्दी ही डॉयमंड प्रोजेक्ट शुरु हो जाए जिससे उन्हें रोजगार, बुनियादी सुविधाएं मिले।
उधर एस्सेल माइनिंग के नाम स्वीकृत बंदर डायमंड प्रोजेक्ट को लेकर विरोध के स्वर मुखर हैं। बकस्वाहा में देश के 9 राज्यों में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र और राजस्थान से आए पर्यावरण प्रेमियों, सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, जनांदोलन से प्रमुख कार्यकर्तायों ने दो दिवसीय मंथन शिविर में शामिल होकर बकस्वाहा में जंगल बचाओ अभियान के तहत डायमंड प्रोजेक्ट की मुखालफत की है। इस प्रोजेक्ट का विरोध करके मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने के लिए एक सुर में आवाज उठाई। सभी का कहना था कि इस प्रोजेक्ट से बकस्वाहा अंचल की वन संपदा नष्ट हो जाने के खतरे से यहां के जनजीवन पर गहरा संकट मंडरा रहा है।
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