आयुष और योग के जरिए यूपी बनेगा हेल्थ टूरिज्म का हब
योग और आयुष मूल रूप से भारतीय जीवन पद्धति हैं। आज पूरी दुनिया इन दोनों के महत्व को स्वीकार कर रही है...

लखनऊ। योग और आयुष मूल रूप से भारतीय जीवन पद्धति हैं। आज पूरी दुनिया इन दोनों के महत्व को स्वीकार कर रही है। 21 जून को विश्व के करीब 175 देशों में मनाया गया योग दिवस इसका सबूत है। चूंकि योग और आयुर्वेद एक दूसरे के पूरक हैं। इसलिए एक बढ़ेगा तो दूसरा भी उसके साथ बढ़ेगा।आंकड़े इसके प्रमाण हैं। भविष्य में उत्तर प्रदेश योग और आयुष के सहारे हेल्थ टूरिज्म का हब बनेगा। इनकी संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार ने इसकी तैयारियां पहले से शुरू कर दी थीं। इस क्रम में गोरखपुर में "महायोगी गुरु गोरखनाथ के नाम से बने प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का उद्घाटन 30 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी।
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उल्लेखनीय है कि इसका शिलान्यास तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 21 अगस्त 2021 में किया था। उद्घाटन के बाद यह विश्वविद्यालय अपनी पूरी क्षमता से लोगों को आरोग्यता प्रदान करने लगेगा। इसमें नियमित कुलपति की नियुक्ति पहले ही हो चुकी है। ओपीडी का संचालन भी हो रहा है। यह विश्वविद्यालय गोरखपुर के पिपरी (भटहट) में स्थित है।
अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक और वाराणसी में राजकीय होम्योपैथिक कॉलेज भी शीघ्र संचालित होने लगेंगे। फिलहाल प्रदेश में इस समय 2110 आयुर्वेदिक, 254 यूनानी,1585 होम्योपैथिक चिकित्सालय हैं। इसके साथ आठ आयुर्वेदिक कॉलेज एवं इनसे संबद्ध चिकित्सालय, दो यूनानी कॉलेज और इनसे संबद्ध चिकित्सालय और 9 होम्योपैथिक कॉलेज उनसे संबद्ध चिकित्सालय और वेलनेस सेंटर भी हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार कह चुके हैं कि आयुष चिकित्सा पद्धति सिर्फ सम्पूर्ण आरोग्यता के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि इस क्षेत्र में हेल्थ टूरिज्म से रोजगार की असीम संभावनाएं भी हैं। आयुष विश्वविद्यालय न केवल इस विधा के अन्य संस्थानों का नियंत्रण करेगा, बल्कि पाठ्यक्रमों में एकरुपता लाकर उसे और उपयोगी बनाएगा। इससे शिक्षा की गुणवत्ता तो सुधरेगी ही, संबंधित क्षेत्र में शोध और नवाचार को। योगी सरकार इलाज की इस विधा के प्रोत्साहन के लिए पहले ही आयुष बोर्ड का गठन कर चुकी है।
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यूपी को हेल्थ टूरिज्म का हब बनाने की भी मंशा जता चुके हैं योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समय समय पर योग और आयुर्वेद से होने वाले लाभ और इनके जरिए उत्तर प्रदेश को हेल्थ टूरिज्म का हब बनाने की मंशा भी जता चुके हैं। प्रयागराज महाकुंभ के सफलतम आयोजन के बाद 23 फरवरी को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, "धर्म के बाद उत्तर प्रदेश हेल्थ टूरिज्म में भी नंबर वन बनेगा। इसके लिए हमें अपने इलाज को प्राचीन विधाओं और दादी नानी के नुस्खों को संग्रहित करना होगा। क्योंकि निरोगी काया ही सबसे बड़ा सुख है।”
आयुष क्षेत्र की संभावनाएंआयुष संभावनाओं का क्षेत्र है। बिना किसी दुष्प्रभाव के निरोग और रोग होने पर इलाज का यह एक परंपरागत एवं प्रभावी जरिया है। एक तरह से योग भी इसका हिस्सा है। योग सहित आयुर्वेद की वैश्विक स्तर पर बढ़ती लोकप्रियता इसके संभावनाओं को और बढ़ा रही है। आयुर्वेद की ये लोकप्रियता और वैश्विक स्वीकार्यता भारत के स्वदेशी ज्ञान और विरासत की संपन्नता का भी प्रमाण है। योगी सरकार को पूरा भरोसा है कि आने वाले वर्षों में भी इस विधा के स्वीकार्यता और लोकप्रियता का यही सिलसिला जारी रहेगा। इस लिए सरकार का पूरा फोकस इस परंपरा को विज्ञान से जोड़ने का है। ताकि आयुर्वेद प्रदेश, देश और दुनिया को आरोग्य की राह दिखा सके।
युवाओं के लिए रोजगार के खुलेंगे द्वारआयुष के बढ़ते क्रेज और कारोबार से स्थानीय स्तर पर औषधीय खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। इनके प्रसंस्करण के लिए स्थानीय स्तर पर कुटीर उद्योग लगेंगे। इनमें ग्रेडिंग, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, लोडिंग, अनलोडिंग और मार्केटिंग के लिए रोजी रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। लोग आसपास उगने वाली जड़ी-बूटियों का संग्रह कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगे। इसका सर्वाधिक लाभ स्थानीय किसानों और छोटे उद्यमियों को होगा।
हिन्दुस्थान समाचार
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