स्वयं सहायता समूह से जुड़कर सुनीता बनी बड़ी दुग्ध उत्पादक, हासिल किया नया मुकाम

महिला स्वसहायता समूह के पैसे से शुरु हुए डेयरी उद्योग ने ग्राम सीतापुर की सुनीता को बड़े दुग्ध उत्पादकों की श्रेणी में ला खड़ा किया..

स्वयं सहायता समूह से जुड़कर सुनीता बनी बड़ी दुग्ध उत्पादक, हासिल किया नया मुकाम

अनूपपुर,

महिला स्वसहायता समूह के पैसे से शुरु हुए डेयरी उद्योग ने ग्राम सीतापुर की सुनीता को बड़े दुग्ध उत्पादकों की श्रेणी में ला खड़ा किया। परिवार की आय में आए सुधारों ने सुनीता के परिवार की जिंदगी बदल दी।

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सुनीता ने बताया कि माता-पिता थोड़ी-बहुत खेती किसानी का कार्य किया करते थे, जिससे होने वाली मामूली आमदनी से घर का खर्च चलाना मुश्किल था। गांव के स्कूल में संचालित मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में खाना बनाकर मजदूरी बतौर 800 रुपये कमा लेती थीं, परन्तु इतनी मामूली-सी कमाई से खुशी नहीं मिलती थी। दसवीं तक की ही पढ़ाई कर पाई थीं और उनकी शादी अठारह वर्ष की उम्र में हो गई थी।

ससुराल में भी परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी। पर्दा प्रथा की वजह से वह गांव से बाहर नहीं जा पाती थीं। धीरे-धीरे समय बदला और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा गठित स्वसहायता समूह से जुड़ गईं और परिवार के हालात सुधारने के लिए उन्होंने डेयरी उद्योग स्थापित करने हेतु अपने समूह से 30 हजार रुपये का ऋण लेकर एक जर्सी गाय खरीद ली। कुछ दिनों में दूध का काम चल पड़ा। और कुछ माहों के भीतर ही सूद समेत समूह का कर्ज लौटा दिया।

milk production SHG | self help group

डेयरी उद्योग को बढ़ाने के लिए समूह के जरिए संगम ग्राम संगठन से 50 हजार रुपये का कर्ज लेकर एक भैंस ली। इससे आय दोगुनी हो गई और उन्होंने संगठन का कर्ज भी अदा कर दिया। लेकिन सुनीता इतने भर पर भी नहीं रुकीं और उन्होंने नकद साख सीमा से 50 हजार रुपये का ऋण लेकर एक पुरानी बोलेरो खरीद कर किराए पर चला दी। नतीजतन उनकी आय और बढ़ गई। इन तीनों गतिविधियों से उनकी मासिक कमाई 22 हजार रुपये हो गई। उन्होंने 50 हजार का कर्ज भी ब्याज समेत अदा कर दिया।

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इस बीच सुनीता एक सफल महिला उद्यमी बन चुकी थीं। उन्होंने समूह की नकद साख सीमा से दो लाख रुपये का तृतीय ऋण तथा अपने समूह से दो लाख रुपये का अतिरिक्त ऋण लिया और पुरानी बोलेरो बेचकर उसके स्थान पर एक नई बोलेरो खरीदकर किराए पर लगा दिया।

आज हर महीने 28 हजार रुपये कमा रही हैं और उन्होंने एक लाख रुपये तक का कर्ज अदा कर दिया है और शेष को किस्तों में अदा कर रही हैं। स्वसहायता समूह की बदौलत आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और गांव में उनका मान सम्मान भी बढ़ गया। आज गांव के आसपास के क्षेत्रों में उनकी एक सफल महिला डेयरी उद्यमी के रूप में पहचान बन चुकी है।

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सुनीता ने बताया कि आज उनके पास पक्का मकान है और वह नई स्कूटी पर चलती हैं। उनके दो बच्चे अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ रहे हैं। आजीविका सुपर बाजार में भी काम करके आय अर्जित हो रही हैं। व्यवसाय से उत्साहित सुनीता कहती हैं कि डेयरी उद्योग उनके परिवार की आजीविका का आर्थिक संबल है। इसकी आय से ही वह इस मुकाम तक पहुंची हैं।

हि स

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