राजस्थान की स्टीफन हॉकिन्स अनुराधा : अतिथियों ने घुटनों के बल बैठ किया बेटी का सम्मान

दुनिया में कद्र काया की नहीं, बल्कि काम और प्रतिभा की होती है। इस तथ्य को साबित करते हुए राजस्थान के..

राजस्थान की स्टीफन हॉकिन्स अनुराधा : अतिथियों ने घुटनों के बल बैठ किया बेटी का सम्मान

दुनिया में कद्र काया की नहीं, बल्कि काम और प्रतिभा की होती है। इस तथ्य को साबित करते हुए राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के संगरिया तहसील स्थित गांव नाथवाना की 21 बेटी अनुराधा उन सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर उभरी हैं, जो लोग शारीरिक रूप से कमजोर हैं और खुद को कम आंकते हैं।

अनुराधा एक ऐसी बीमारी से पीडि़त हैं, जिसमें सिर्फ दिमाग को छोडक़र शरीर का कोई हिस्सा काम नहीं करता है। इस बीमारी के बावजूद अनुराधा ने 12वीं कक्षा में 85 प्रतिशत अंक हासिल कर गार्गी पुरस्कार हासिल किया है।

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संगरिया के राजकीय बालिका स्कूल में पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान जब अनुराधा बुड़ानिया का नाम पुरस्कार के लिए पुकारा गया तो कार्यक्रम में मौजूद हर शख्स की नजरें उस पर टिक गईं।

क्योंकि, अनुराधा की मां उसे गोद में उठाकर समारोह में पहुंची। फिर स्कूल प्रिंसिपल व व्यवस्थापक ने अनुराधा को उठाकर स्टेज पर पहुंचाया।

यहां एसडीएम रमेश देव, पालिका अध्यक्ष सुखबीर सिंह सिद्धू ने घुटनों के बल बैठकर अनुराधा को माला व पगड़ी पहना उसका सम्मान किया।

मुख्य अतिथि सुखबीर सिंह ने 11 हजार रुपये नकद पुरस्कार दिया। इस गंभीर बीमारी के बावजूद अनुराधा ने कभी इसकी परवाह नहीं की। संघर्ष से जूझते हुए हमेशा एक ही लक्ष्य रखा कि उसे पढऩा है।

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21 साल की अनुराधा ने बताया कि कक्षा 8 तक तो दिव्यांग होने की वजह से घर पर ही रह कर पढ़ाई की। हाथ-पांव, कमर सहित शरीर का कोई हिस्सा काम नहीं करने के कारण खुद किताब भी नहीं उठा पाती थी।

ऐसे में माता-पिता सहयोग करते। कक्षा 10वीं में 78.50 प्रतिशत अंक लेकर गार्गी पुरस्कार प्राप्त किया था। इसके बाद 12वीं में 85 प्रतिशत अंक प्राप्त किए।

स्कूल की सहपाठी छात्राओं ने कभी उसे जाहिर ही नहीं होने दिया कि वह दिव्यांग हैं। दो मई 2020 को पिता सुरेंद्र बुड़ानिया की मौत के बाद मां सरोज बुड़ानिया ही उसका ख्याल रखती है।

उसका सपना आईएएस बनने का है। अनुराधा का 13 साल का छोटा भाई भी है और वो भी दिव्यांग है।

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हि.स

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