प्राचीन काल से आज भी पी रहे हैं मटके का पानी, शरीर के लिए होता है फायदेमंद
अधिक तापमान के कारण शरीर से पानी की बहुत अधिक मात्रा शरीर से निकल जाती है इसलिए दिन में नियमित अंतराल पर पानी पीना बहुत जरूरी है...
बढ़ती गर्मी के साथ मटकों की बिक्री शुरू
ग्वालियर। युग बदलने के साथ लोगों का रहन सहन भी बदला है। जहां पानी को शुद्ध करने के लिए घरों में आरओ लगाए जा रहे हैं वहीं ठण्डा पानी पीने के लिए फ्रीजों का सहारा लिया जा रहा है। लेकिन इन सबके बावजूद भी प्राचीन काल से चली आ रही मटके का पानी पीने की परंपरा आज भी कायम है। घर में भले ही चाहे फ्रीज हो लेकिन आज भी लोग मटके का पानी पीना पसंद करते हैं। इसी वजह से बाजारों में गर्मी के इस सीजन में मिट्टी से बने मटकों की खूब बिक्री हो रही है। यह मटके शहर में जगह-जगह 50 से 150 रुपये तक में मिल रहे हैं।
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मटके की सबसे अधिक खरीदारी अप्रैल माह में होना शुरू हो जाती है जो पूरी गर्मियों तक चलती है। गर्मियों में दिन के समय पानी पीना बहुत जरूरी है। अधिक तापमान के कारण शरीर से पानी की बहुत अधिक मात्रा शरीर से निकल जाती है इसलिए दिन में नियमित अंतराल पर पानी पीना बहुत जरूरी है। उल्लेखनीय है कि गर्मियों में मटके का उपयोग बड़े काम का होता है। जब पानी मटके में रखा जाता है, तो इसमें ऊर्जा का सम्पर्क होता है और यह ऊर्जा शुद्ध करने का काम करती है। मटके का पानी शुद्ध होता है और इसमें विभिन्न प्रकार के खनिज होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। मटके के पानी का प्रतिदिन सेवन करने से हमारा पाचन सिस्टम दुरूस्त रहता है। मटका अपने आसपास की गर्मी को अवशोषित कर लेता हैं इस कारण मटके का तापमान कम हो जाता है और इसका पानी पीने में ठण्डा लगता है।
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मटका विक्रेता प्रेमबाबू प्रजापति ने बताया कि यह मटके आगरा, झांसी और स्थानीय स्तर से बिकने के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास 22 लीटर पानी का मटका 150 रुपये, 15 लीटर पानी का मटका 100 रुपये और पांच लीटर पानी का मटका 50 रुपये में बिक रहा है। गर्मियों में प्रतिदिन उनके द्वारा 60 से 70 मटकों की बिक्री हो रही है।
हिन्दुस्थान समाचार
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