चित्रकूट में जल प्रपात के नाम बदलने पर विवाद, आदिवासियों में आक्रोश
शबरी जल प्रपात के नाम में बदलाव को लेकर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच विवाद गहराता जा रहा है...
चित्रकूट। शबरी जल प्रपात के नाम में बदलाव को लेकर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच विवाद गहराता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के हिस्से में आने वाले शबरी जल प्रपात का नाम बदलकर 'तुलसी जल प्रपात' किए जाने से आदिवासी समुदाय में गहरा असंतोष व्याप्त है। वे इस फैसले से आहत हैं और इसे योगी सरकार की सवर्णवादी सोच का परिचायक मान रहे हैं। नाम परिवर्तन की यह घटना आदिवासी समुदाय के लिए छोटी नहीं है, बल्कि उनके मन में दूरगामी प्रभाव छोड़ चुकी है। आदिवासियों के विरोध प्रदर्शनों और ज्ञापनों को सरकार द्वारा अनदेखा किया गया, जिससे उनका गुस्सा और बढ़ गया है।
आदिवासी समाज के लोग मानते हैं कि शबरी का प्रभु राम के प्रति भक्तवत्सल प्रेम को उत्तर प्रदेश की 'रामभक्त' सरकार ने अपमानित किया है। पिछले दो साल से यह समुदाय इस निर्णय से आहत है और उनके द्वारा किए गए प्रदर्शन और ज्ञापन सरकार के सामने बेमानी साबित हो रहे हैं।
शबरी जल प्रपात की खोज करने वाले अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के संस्थापक गोपाल भाई का कहना है कि उन्होंने इस जल प्रपात की खोज की और इसे 'शबरी जल प्रपात' नाम दिया। यह जल प्रपात उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमाओं में फैला हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार ने इसे 'शबरी' नाम से ही विकसित कर बेहतरीन पर्यटन स्थल बनाया है, जबकि उत्तर प्रदेश के वन विभाग के कुछ तत्कालीन अधिकारियों ने सवर्णवादी सोच के चलते इसका नाम 'तुलसी जल प्रपात' रख दिया। उन्होंने इस नामकरण का आधार तुलसीदास के चित्रकूट के राजापुर में जन्म को बताया है, जिससे आदिवासी समुदाय में गहरी नाराजगी है।
जल प्रपात का नाम बदलने से आदिवासी समुदाय का आक्रोश अब सुलगता हुआ ज्वालामुखी बन चुका है।
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SarojAbb isi se vikas hoga