झांसी की बेटी आर्शी ने टेक्सास में बढ़ाया भारत का मान

बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। अभी हाल ही में कर्नल सोफिया कुरैशी व विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने अपने...

May 17, 2025 - 11:50
May 17, 2025 - 11:54
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झांसी की बेटी आर्शी ने टेक्सास में बढ़ाया भारत का मान

टेक्सास के गैस फेस्टिवल में शामिल भारत की एकमात्र प्रतिभागी हैं आर्शी

झांसी। बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। अभी हाल ही में कर्नल सोफिया कुरैशी व विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने अपने शौर्य से दुनिया को परिचित कराया है, वहीं झांसी की बेटी ने भी सृजनात्मकता के क्षेत्र में विदेश में परचम लहराया है। टैक्सास में 14 से 17 मई तक आयोजित ग्लास आर्टस सोसाइटी (गैस) में भारत की एक मात्र प्रतियोगी के रूप में वीरांगना भूमि झांसी की बेटी आर्शी लगरखा शिरकत कर रही हैं। 11 अप्रैल 2025 को इटली में आर्शी लगरखा द्वारा बनाई गई भारत की पहली आर्ट ग्लास डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई थी और इसे गैस फेस्टिवल टेक्सास के लिए चुना गया था। उन्होंने न केवल झांसी बुन्देलखण्ड बल्कि भारत को भी गौरान्वित किया है।

यह आर्ट ग्लास डॉक्यूमेंट्री आर्शी लगरखा द्वारा ग्रामीण आधुनिक ग्लास स्टूडियो के दुनिया भर के मास्टर ग्लेज़ियर्स के साथ सहयोग की खोज करते हुए बनाई गई थी। स्टूडियो भारत के पहले आर्ट ग्लास स्टूडियो में से एक है, जो गैस आर्ट, टेबलवेयर लाइटिंग, फर्नीचर और सहायक उपकरण बनाने के लिए ग्लास ब्लोइंग और अन्य ग्लास उत्पादन तकनीकों की खोज करता है। फिल्म ने स्टूडियो के काम को उजागर किया, जिसमें ग्रांट गार्मेज़ी, एरिन गार्मेज़ी, इवान शॉस और गेज स्टीफेंस जैसे कलाकार शामिल हैं। स्क्रीनिंग के बाद मेहमानों ने ग्लास और लाइटिंग गैलरी के निर्देशित दौरे पर जाने से पहले कुछ चुनिंदा कलाकारों के साथ बातचीत की। मुंबई में स्थित यह आर्ट ग्लास स्टूडियो, इस क्षेत्र में कार्यरत भारत में एक मात्र स्टूडियो है जिसे रुरल माडर्न ग्लास स्टूडियो के नामसे जाना जाता है। यह स्टूडियो मिस्टर अर्जुन राठी जो वर्तमान में आर्शी के हमसफर भी हैं ,उनकी सकारात्मक और रचनात्मक सोच का नतीजा है। आर्शी की इस सफलता में उनका बड़ा योगदान है।

झांसी में रहने वाली बुन्देलखण्ड विश्विद्यालय में तैनात उनकी मां डॉ. रेखा लगरखा ने शनिवार को हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि उनकी बेटी ने फैशन स्टाइलिंग में इटली से अपनी पढ़ाई पूरी की, जबकि दामाद ने जर्मनी से आर्किटेक्चर की पढ़ाई करके इस काम की शुरुआत की थी। आज वह गर्व महसूस कर रही हैं कि उनकी बेटी उनके नाम से नहीं, बल्कि वह अपनी बेटी के नाम से दुनियांभर में जानी जा रही हैं। माता पिता के लिए इससे बड़ा सुखद अनुभव और क्या हो सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार

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