ध्रुव और भरत चरित्र की गूंज, श्रीमद् भागवत कथा का तीसरा दिन संपन्न
श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास आचार्य अमित कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने ध्रुव चरित्र, भरत चरित्र...
बांदा। श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास आचार्य अमित कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने ध्रुव चरित्र, भरत चरित्र की कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जिनके जीवन में महादेव की भक्ति नहीं है उसके ऊपर श्रीराम और कृष्ण का सानिध्य असंभव है।
देवनगर, झील का पुरवा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन भागवताचार्य अमित कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने कहा कि सत्संग से हमारे आचरण उत्तम बनते हैं ध्रुव चरित्र से हमे सीखना चाहिए कि हमे हमारे लिए कहे गए अपमानित शब्दों से भी प्रेरणा लेना चाहिए किसी के बुरे आरोप का जवाब हमे कुछ अच्छा करके देना चाहिए। परमात्मा परिश्रम साध्य नहीं कृपा साध्य है। इसलिए भगवान शिव और राम की भक्ति में भेद नहीं करना चाहिए। हरि-हर एक है। मडफा पर्वत पर ही पौराणिक कथाओं के अनुसार महादेव ने संसार की रक्षा के लिए भयंकर हलाहल विष का पान किया था। उस विष का इतना तीक्ष्ण आवेश होने के कारण तांडव नृत्य किया। जिनका शरीर आज भी पसीने से भीगा रहता है। सभी जीवो के उद्धार एवं करुणा के लिए करुणावतार भगवान शिव हैं। सनातन धर्मावलंबियों को वर्ष में एक उत्सव जरूर मनाना चाहिए। बताया कि भक्त धु्रव की भक्ति देखकर हरि की कृपा मिली। इसी प्रकार भरत की महिमा है। इस मौके पर मुख्य यजमान लालू प्रसाद व माया देवी, समाजसेवी राजकुमार याज्ञिक, कथा संयोजक वेद प्रकाश, डॉ प्रेम, राम सजीवन, रामशरण, तारकेश्वर, विनोद कुमार, मनोज कुमार, लवकुश, महेंद्र कुमार, राजेंद्र सविता सहित बडी तादाद में श्रोतागण मौजूद रहे। आरती के पश्चात प्रसाद वितरित किया गया।