अमीरी-गरीबी का भेद खत्म करने को संत विनोबा भावे ने चलाया था भू-दान यज्ञ पदयात्रा
भारतरत्न संत विनोबा भावे के 131वें जन्मदिन मनाने के लिए चित्रकूट लोकनीति विचार मंच के तत्वावधान में सर्वोदय सेवा आश्रम...

131वें जन्मदिन पर हुई चिंतन गोष्ठी, 1952 में चित्रकूट आए थे विनोबा
चित्रकूट। भारतरत्न संत विनोबा भावे के 131वें जन्मदिन मनाने के लिए चित्रकूट लोकनीति विचार मंच के तत्वावधान में सर्वोदय सेवा आश्रम मे जय जगत बनाम एक पृथ्वी एक परिवार की परिकल्पना को साकार करने में वर्तमान चुनौतियां और समाधान के विकल्प पर चिंतन किया गया।
चिंतन गोष्टी में विद्वतजनो ने संत विनोबा भावे के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। साहित्यकार कवि हनुमान प्रसाद निर्मल ने अध्यक्षता का। समाजशास्त्री पुरुषोत्तम ने विचार गोष्ठी विषय की पृष्ठभूमि को रेखांकित करते हुवे कहा कि संत विनोबा भावे ने जय जगत का नारा 1952 में दिया था। जब वह भूदान यज्ञ के लिए गांव-गांव पदयात्रा कर रहे थे। आजादी के तुरंत बाद ही भारत में भूमि की असमानता को लेकर एक वर्ग में संघर्ष पैदा हो गया था। जिसमें समाज भूमिधारकों की हत्या करने लगा था और यह कलंक स्वतंत्र भारत के लिए सबसे बड़ा धब्बा था। सरकार समाधान करने में असफल रही। भूमिधारकों के बीच विनोबा ने खड़े होकर प्रार्थना करते हुए निवेदन किया आप लोगों के पास अपार संपत्ति है कुछ थोड़ी संपत्ति इन भूखे नगों दे दीजिए। उनकी प्रार्थना को बड़े-बड़े जमीदारों ने सुना और एक ने कहा कि वह अपनी जमीन दान करता है। बस वहीं से शुरू हुआ भू-दान यज्ञ आंदोलन। जिसमें संत विनोबा भावे 13 साल पैदल चलते रहे और करीब चार लाख एकड़ भूमि का दान जमींदारों ने दिया। उनकी पदयात्रा का सबसे बड़ा लक्ष्य था जाति, धार्मिक, गरीबी, अमीरी के भेद को कम करने वाले विचारों को कम करना। लोगों में प्रेम का संचार पैदा करना। उन्होंने जनसंवाद को आधार माना। उनके इस काम को पूरे विश्व ने महान माना। सामाजिक चिंतक राम मनोहर वर्मा ने कहा कि जय जगत और एक पृथ्वी एक परिवार यह दोनों नारे मानवता की रक्षा के लिए सबसे बड़ा मंत्र है। समाजशास्त्री शिक्षक कवि दिनेश चौहान ने कहा कि भारत की संस्कृति और सभ्यता इन दोनों के बीच बहुत बड़ी खाई पैदा हो चुकी है। जिसका सबसे बड़ा कारण है बाजारवाद और पश्चात्य सभ्यता। कवि हबीब ने कहा कि आज पूंजीवाद जबरदस्त हावी है। साहित्यकार कवि अख्तर फराज ने कहा कि यह सोचना होगा कि सरकार गरीब किसानों की जमीनों को कंपनियों के हवाले करने के लिए अगुवाई करती है। किसान की जमीन कम दाम में मिल जाती है। जबकि अधिग्रहण कानून के द्वारा जमीन ली जाती तो उसका लाभ अधिग्रहण कानून के तहत किसान को मिलता। सामाजिक कार्यकर्ता अभिमन्यु ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री 2047 में भारत कैसा दिखना चाहिए इसका विजन तैयार करने के लिए प्रत्येक प्रदेश के प्रत्येक जिले में संवाद शुरू कराए हैं। उन्होंने चित्रकूट विजन पर चर्चा की। साहित्यकार कवि गुरु प्रसाद ने कहा कि चित्रकूट की धरती में रहने वाले सारे परिवार एक तभी होगे जब जातियों के बीच जो भेद है वह समाप्त होगा। चित्रकूट का विजन है एक परिवार कैसे बने।
चिंतन गोष्ठी में हनुमान प्रसाद निर्मल ने संत विनोबा भावे और चित्रकूट से उनके संबंध में बताया कि जिस सर्वोदय सेवा आश्रम की भूमि में चिंतन गोष्टी कर रहे हैं वहां प्रेम अहिंसा की पाठशाला लगा कर गए थे। जून 1952 में संत विनोबा भावे की भू-दान यज्ञ पदयात्रा शिवरामपुर होते हुए प्रातः 11 बजे सर्वोदय सेवा आश्रम मे आकर दोपहर के पड़ाव पर रुकी। अंत में श्री निर्मल ने कहा कि सब लोगों को समाज के अंतिम पायदान में रहने वाले लोगों के बीच में जाना चाहिए। ताकि उनकी आवाज को बुलंद कर सकें।
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