चित्रकूट : शबरी जल प्रपात भी उफान पर, रोजाना आते हैं कई पयर्टक, देखते हैं मनमोहक नजारा
प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में पयस्वनी नदी पर शबरी जल प्रपात साल भर आकर्षण की छटा बिखेरता है..
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चित्रकूट,
प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में पयस्वनी नदी पर शबरी जल प्रपात साल भर आकर्षण की छटा बिखेरता है। आजकल त्रि-जलधारा के तेज रफ्तार से नीचे गिरने का मनोहारी दृृश्य किसी को मंत्रमुग्ध करने के लिए पर्याप्त है। वहीं यह जलराशि जमीं पर बादलों के होने का अहसास भी करा रही है।
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मारकुंडी थाना अंतर्गत जमुनिहाई-बंबिया जंगल में शबरी जल प्रपात स्थित है। बारिश के मौसम में यहां की त्रि-धाराएं माहौल को और भी मनोरम बना देती हैं। पहाड़ों में कई दिनों से हो रही लगातार बारिश से तीन जल धाराएं इन दिनों पूरे वेग से नीचे गिर रही हैं। इससे गर्जना के साथ का दृश्य और भी मनोहारी हो जाता है। इस दृश्य का लुत्फ उठाने के लिए अच्छी-खासी संख्या में पर्यटक व स्थानीय लोग यहां पहुंच रहे हैं।
वर्तमान में त्रि-जलधारा के वेग व 35 से 40 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से नीचे गिरती जलराशि जमीं पर बादलों के होने का अहसास करा रही है।धर्मनगरी के पर्यटन स्थलों को सरकार विकसित कर रही है। ताकि अधिक से अधिक पर्यटकों का आवागमन हो सके।मारकुंडी थाना क्षेत्र के पाठा इलाके में शबरी जल प्रपात भी पर्यटन का एक प्रमुख केन्द्र है। इसका विहंगम दृश्य देखने के लिए रोजाना दर्जनों पर्यटक पहुंचते हैं। एक तरह से पिकनिक स्पॉट बन चुके शबरी जल प्रपात में पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है।
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शबरी जल प्रपात कैसे पहुंचे
- बारिश के बाद अगस्त से मार्च के बीच दृश्य मनोहारी, बाकी साल भर कभी भी देख सकते हैं।
- तत्कालीन डीएम डॉ जगन्नाथ सिंह ने खोजबीन कर 31 जुलाई 1998 को किया था इसका नामकरण।
- उत्तर प्रदेश में करीब 40 मीटर चौड़ाई में तीन जलराशियों वाला एकमात्र जलप्रपात होने की प्रबल संभावना।
- मारकुंडी से महज आठ किलोमीटर दूर स्थित, मानिकपुर रेलवे जंक्शन उतर कर पहुंचना आसान
- त्रि-जलधारा गिरने वाली जगह बना मंदाकिनी कुंड। मान्यता है कि यहीं प्रभु राम ने शबरी के बेर खाने के बाद कुंड में स्नान किया तो मंदाकिनी ने अपना अंश गिराया था।
- पाठा के जंगल में रहने वाले कोल-भील अपने को शबरी मैया का वंशज मानते हैं। -बंबिया के जंगल में शबरी आश्रम भी है, जहां मकर संक्रांति को कोल-भीलों का मेला लगता है।
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