महोबा में आधा दर्जन स्टोन क्रेशर को बंद कराए जाने के एनजीटी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा किसान हितों सम्बन्धी कारणों का हवाला देते हुए कालीपहाड़ी व बिलबई के पारस ग्रेनाइट, कृष्णा ग्रेनाइट, जय माँ गंगोत्री ग्रेनाइट..

महोबा में आधा दर्जन स्टोन क्रेशर को बंद कराए जाने के एनजीटी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
महोबा में स्टोन क्रेशर ( stone crushers in Mahoba )

ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा किसान हितों सम्बन्धी कारणों का हवाला देते हुए कालीपहाड़ी व बिलबई के पारस ग्रेनाइट, कृष्णा ग्रेनाइट, जय माँ गंगोत्री ग्रेनाइट सहित महोबा में आधा दर्जन स्टोन क्रेशर को बंद कराए जाने और इन क्रेशरों से मुआवजे के रूप में  6,41,80,750 रूपये बसूली करने के आदेश दिये थे जिस पर सुप्रीमकोर्ट ने फिलहाल सम्बंधित क्रेशरों से बसूली एवं बन्दी पर रोक लगा दी है ।

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मेसर्स प्रयाग राज ग्रेनाइट, मेसर्स पारस ग्रेनाइट, मेसर्स कृष्णा द्वारा संचालित स्टोन क्रशर के संचालन द्वारा पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के आरोप के संबंध में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं जिलाधिकारी महोबा से रिपोर्ट मांगी गयी थी. ग्रेनाइट वर्क्स, मैसर्स आरबी एसोसिएट, मैसर्स अरिहंत ग्रेनाइट और महोबा में मेसर्स रवि ग्रेनाइट।

प्रदूषणकारी इकाइयों के खिलाफ मुआवजे के आकलन के मामले में राज्य पीसीबी द्वारा दायर रिपोर्ट के आलोक में इस मामले पर आखिरी बार 27 जुलाई, 2020 को विचार किया गया था। आवेदक ने मुआवजे की पर्याप्तता के खिलाफ आपत्ति जताई। ट्रिब्यूनल ने मामले को देखने और मुआवजे को संशोधित करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राज्य पीसीबी और जिला मजिस्ट्रेट, महोबा की एक संयुक्त समिति का गठन किया।

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उपरोक्त के अनुसरण में, 18 जनवरी, 2021 को एक रिपोर्ट दायर की गई थी। रिपोर्ट में, मुआवजे को संशोधित किया गया है - यह मानते हुए कि स्टोन क्रशर आवश्यक वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली के बिना काम कर रहे थे। भले ही दस साल से अधिक समय से उल्लंघन पाए गए हों, लेकिन संयुक्त समिति द्वारा मुआवजे का आकलन पांच साल के लिए किया गया है।

एनजीटी ने कहा कि दस साल के लंबे समय तक लगातार उल्लंघन वैधानिक अधिकारियों द्वारा निगरानी में विफलता या कानून के उल्लंघन में मिलीभगत को दर्शाता है, जिसे सरकार में उचित उच्च स्तर पर देखा जाना चाहिए और उपचारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। संयुक्त समिति ने 5 स्टोन क्रशर के लिए मुआवजे का निर्धारण  6,41,80,750 किया था। 

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अदालत ने राज्य पीसीबी और जिला मजिस्ट्रेट महोबा को कानून के अनुसार मुआवजे की वसूली के लिए आगे बढ़ने का निर्देश दिया। आदेश में कहा गया है कि बरामद राशि का उपयोग राज्य पीसीबी और जिला मजिस्ट्रेट महोबा द्वारा संयुक्त रूप से समय सीमा और सभी विवरणों के साथ एक कार्य योजना तैयार करके क्षेत्र के पर्यावरण की बहाली के लिए किया जाना चाहिए।

उक्त आदेश  आदेश जिसके अंतर्गत सम्बंधित क्रेशरों को बंद करने के खि़लाफ़ क्रेशर मालिको द्वारा सुप्रीमकोर्ट में दी।गयी अर्जी पर विचार करते हुऐ सुप्रीमकोर्ट ने फिलहाल सम्बंधित क्रेशरों से बसूली एवं बन्दी पर रोक लगा दी है ।। 

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