बुंदेलखंड में बीजेपी कांग्रेस के बीच शह और मात का खेल,देखें कौन किस पर भारी
मध्यप्रदेश में विकास की रेस में बुंदेलखंड सबसे पिछड़ा है। नौकरी की तलाश में आज भी इसी इलाके से सबसे अधिक लोग पलायन करते हैं। स्थानीय स्तर पर खेती को छोड़ दें तो रोजगार का ...
मध्यप्रदेश में विकास की रेस में बुंदेलखंड सबसे पिछड़ा है। नौकरी की तलाश में आज भी इसी इलाके से सबसे अधिक लोग पलायन करते हैं। स्थानीय स्तर पर खेती को छोड़ दें तो रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड की जनता ने बीजेपी पर आंख मूंद कर भरोसा किया था। शायद यही वजह रही कि बुंदेलखंड की 26 में से 18 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली। बीजेपी इस इलाके में अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराना चाहती है। चुनाव से पहले इस क्षेत्र को कई सौगातें दी हैं। वहीं, कांग्रेस भी सीटें बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा रही है।
मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में छह जिले आते हैं। इसमें सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना और निवाड़ी शामिल है। इनका संभागीय मुख्यालय सागर में है। बुंदेलखंड में सबसे बड़ी समस्या जातिवाद की भी है। दलितों की आबादी ज्यादा है। बीजेपी ने इन्हें साधने की लिए एक बड़ी चाल चली है। सागर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत शिरोमणि रविदास मंदिर की नींव रखी है। इसके निर्माण में 100 करोड़ रुपए खर्च होंगे। मंदिर से माहौल बदलते देखकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी सागर पहुंचे और उन्होंने बड़ी घोषणा कर दी। उन्होंने ऐलान कर दिया है कि हमारी सरकार बनी तो हम संत रविदास के नाम पर एक यूनिवर्सिटी बनाएंगे।
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पिछड़ेपन के साथ-साथ बुंदेलखंड में जाति एक बड़ी समस्या है। जातिवाद का जहर ऐसा फैला है कि आए दिन इस इलाके से उत्पीड़न के मामले सामने आते रहते हैं। शायद यही वजह से बीजेपी और कांग्रेस के अलावे दूसरे दल भी इस क्षेत्र में बाजी मार ले जाते हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले भी कई सियासी दल सक्रिय हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड क्षेत्र में बीएसपी को एक सीट पर जीत मिली थी। इस बार के चुनाव में बीएसपी, सपा और भीम आर्मी इस बार सक्रिय है। ये छोटे दल कई सीटों पर वोट काटकर बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों को अप्रत्यक्ष तौर पर फायदा पहुंचा देते हैं।
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बुंदेलखंड की 24 सीटों में से 15 पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं। बाकी सीटों पर भाजपा का मंथन जारी है। निवाड़ी, पृथ्वीपुर, जतारा, टीकमगढ में भाजपा में पेच फंसा हुआ है। इस क्षेत्र की एकमात्र सीट खरगापुर से भाजपा ने उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी को चुनाव मैदान में उतारा है। इसे लोधी वोटरों को साधने के लिए भाजपा का जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण का बड़ा दांव बताया जा रहा है। वहीं, सागर की आठ में से सात सीट पर भाजपा ने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। इसमें सुरखी से गोविंद सिंह राजपूत, रेहली से गोपाल भार्गव, खुरई से भूपेंद्र सिंह, नरियावली से इंजीनियर प्रदीप लारिया, सागर से शैलेंद्र जैन, देवरी से ब्रजबिहार पटैरिया और बंडा से वीरेंद्र सिंह लोधी शामिल हैं। छतरपुर की चंदला और बिजावर विधानसभा सीट को छोड़कर छह में से चार सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं। वहीं, दमोह जिले की पांच सीटों में से केवल दमोह और गुन्नौर सीट पर ही अभी तक उम्मीदवार घोषित किए गए हैं।
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केन बेतवा प्रोजेक्ट भाजपा का मास्टर स्ट्रोक
चुनाव के पहले भाजपा की मोदी सरकार ने केन बेतवा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। इसे बुंदेलखंड के लिए मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है। यह नदी जोडो योजना है। इससे बुंदेलखंड की लंबे समय की सूखे की समस्या खत्म होने की उम्मीद है।
दो दशक से भाजपा का वर्चस्व
2003 भाजपा 20 और कांग्रेस दो, सपा दो
2008 भाजपा 14, कांग्रेस आठ, जनशक्ति दो, एक सपा और निर्दलीय
2013 भाजपा 20, कांग्रेस 6
2018 भाजपा 18, कांग्रेस सात, बसपा एक