बांदा विधान सभा सीट का संग्राम

बांदा जिले में कुल 4 विधानसभा सीटें इनमें बांदा बबेरू तिंदवारी सामान्य सीटें हैं जबकि नरैनी विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के..

Feb 21, 2022 - 06:58
Feb 21, 2022 - 07:06
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बांदा विधान सभा सीट का संग्राम

अनिल शर्मा (Anil Sharma)

  • कमल से अपनी लडाई मान रहे है हाथी और साइकिल 

बांदा जिले में कुल 4 विधानसभा सीटें इनमें बांदा बबेरू तिंदवारी सामान्य सीटें हैं जबकि नरैनी विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। बांदा जिले में 23 फरवरी को मतदान होना है यहां पर चुनावी बुखार अपने चरम पर हैं जहां तक बांदा सदर सीट की बात करें तो यहां भाजपा ने अपने तेज तर्रार निवर्तमान विधायक प्रकाश द्विवेदी को दूसरी बार लगातार प्रत्याशी बनाया है।

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प्रकाश द्विवेदी के सिपहसालार और भाजपा के नेता पुष्कर द्विवेदी का कहना है कि हमारे प्रत्याशी से किसी की टक्कर नहीं है। वह तो आगे है उन्हें सभी जात बिरादरी का प्रचुर मात्रा में वोट मिल रहा है। उधर बहुजन समाज पार्टी के बसपा के प्रत्याशी तथा राजपूत बिरादरी के वरिष्ठ नेता धीरज राजपूत अपना मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी प्रकाश द्विवेदी से मानते हैं। समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मंजुला सिंह जो पूर्व मंत्री विवेक सिंह की धर्मपत्नी है।

उनका भी मानना है कि उनकी मुख्य लड़ाई भाजपा प्रत्याशी प्रकाश द्विवेदी से ही होने वाली है। ऐसे में यह देखना जरूरी है की यहां जाति समीकरण क्या है । बसपा प्रत्याशी धीरज राजपूत के पास जहां उनका अपना आधार वोट राजपूत है तथा उनकी पार्टी बसपा का आधार और दलित है। अगर यहां देखा जाए तो बांदा सदर में दलित मतदाताओं की संख्या के लगभग 75,000 है जबकि राजपूत बिरादरी लगभग 15000 वोट है इस तरह से यदि अन्य ओबीसी जातियों का यदि धीरज राजपूत को वोट मिल जाता है तो वह मजबूत स्थिति में आ जाएंगे। 

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जहां तक समाज वादी पार्टी की प्रत्याशी मंजुला सिंह की बात है। उनके पति स्वर्गीय विवेक सिंह जो इस विधानसभा क्षेत्र से कई बार विधायक रहे हैं और मंत्री भी, उनके पास शहर में ठाकुर यादव कायस्थ और मुसलमानों की एक अच्छी खासी फॉलोइंग थी। जहां तक श्रीमती मंजुला सिंह की बात है उन्हें विवेक सिंह की धर्मपत्नी होने का लाभ मिल रहा है। इसके अलावा उन्हें अपने आधार यानि ठाकुर बिरादरी का वोट जिसकी मतदाताओं की संख्या लगभग 18 से 20,000 है।

इसके अलावा सपा के आधार वोट यादव बिरादरी जिसके मतदाताओं की संख्या लगभग 25000 है इसके साथ साथ पूरे प्रदेश में यह दिखाई दे रहा है के अल्पसंख्यक मुस्लिम मतदाता का रुझान इस बार सपा की तरफ है। बांदा सदर की सीट में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 30,000 है यह संख्या मिलाकर लगभग 75000 हो जाती है यदि इनका 60 से 70 पर्सेंट वोट पड़ा तो मंजुला सिंह सपा प्रत्याशी के नाते मुकाबले में आ जाएंगे।

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भाजपा के निवर्तमान विधायक और दूसरी बार भाजपा से चुनाव लड़ रहे प्रकाश द्विवेदी का आधार वोट ब्राह्मण लगभग 55 से 60 हजार है जबकि पार्टी जबकि भाजपा और संघ का कैडर वोट जो लगभग 25000 है पटेल लगभग 10,000 है लोधी जो लगभग 15000 है। साहू राठौर प्रजापति आदि अति पिछड़ी जातियां जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण भाजपा में वर्ष 2014 से है उनके वोटों का भी लाभ भाजपा प्रत्याशी को मिल सकता है क्योंकि कांग्रेस ने वैश्य समाज से एक नेता लक्ष्मी नारायण गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है।

भाजपा प्रकाश द्विवेदी, बसपा धीरज राजपूत, समाजवादी पार्टी मंजुला सिंह, कांग्रेस लक्ष्मी नारायण गुप्ता (BJP Prakash Dwivedi, BSP Dheeraj Rajput, Samajwadi Party Manjula Singh, Congress Laxmi Narayan Gupta)

जो एक प्रसिद्ध कंपनी की दवाओं के थोक डीलर है इसके अलावा उनका स्वभाव भी मृदुभाषी है।ं लिहाजा उनके खड़े होने से भाजपा को थोड़ा बहुत नुकसान हो सकता है। इसी तरह से धीरज लोधी राजपूत के जो वोट एकमुश्त भाजपा के होते थे उसमें भी बंटवारा होगा। लेकिन कुशवाहा जो करीब 20 22 हजार है, रैकवार जो करीब 10 से 15000 हैं इसके अलावा अति पिछड़ी और दलित जातियां हैं। उनके मतों का झुकाव भी भाजपा की तरफ हो सकता है।

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राजनीतिक विश्लेषकों का यह मानना है कि इस समय जातिवाद चरम पर है। चाहे किसी भी राजनीतिक दल ठाकुर नेता हो उसका कुछ ना कुछ झुकाव या सॉफ्ट कॉर्नर योगी योगी आदित्यनाथ की तरफ है। इसके चलते उन्हें भाजपा और संघ के जो कमिटेड ठाकुर वोट हैं उसका भी लाभ मिल सकता है। कुल मिलाकर बांदा सदर की सीट में  चाहे सपा हो या चाहे बसपा हो अपनी लड़ाई वह भाजपा प्रत्याशी प्रकाश द्विवेदी से ही मान रहा है।

इससे साफ है कि मतदाताओं की पिछले कार्यकाल में 5 साल के दौरान भले ही प्रकाश दुबे जी से कुछ व्यक्तिगत नाराजगी रही हो लेकिन पार्टी और संघ के राष्ट्रवाद विचार के लिए हिंदू समाज का बहुत बडा खेमा भाजपा प्रत्याशी प्रकाश द्विवेदी की ओर जाता दिखाई दे रहा है। जिससे साफ है कि वह अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों से थोड़ा आगे चल रहे हैं।

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