अतर्रा में सहकारिता आधारित जैविक एवं जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने पर हुआ मंथन

बी पैक्स अतर्रा में बुधवार को “सहकारिताओं के माध्यम से जैविक कृषि, प्राकृतिक खेती एवं जलवायु अनुकूल कृषि को...

Jul 16, 2025 - 17:48
Jul 16, 2025 - 17:51
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अतर्रा में सहकारिता आधारित जैविक एवं जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने पर हुआ मंथन

बांदा। बी पैक्स अतर्रा में बुधवार को “सहकारिताओं के माध्यम से जैविक कृषि, प्राकृतिक खेती एवं जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा” विषयक एक प्रभावशाली कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सहकारी संस्थाओं, प्रगतिशील किसानों एवं कृषि विशेषज्ञों ने सक्रिय सहभागिता की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक संदीप कुमार गौतम ने की। उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच सतत कृषि पद्धतियों को अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि सहकारिताएं सामूहिक खेती, लागत नियंत्रण और पर्यावरणीय संतुलन के लिए एक प्रभावशाली माध्यम हैं।

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जैविक खेती से बढ़ेगी आमदनी और मिट्टी की उर्वरता
क्रय-विक्रय समिति के अध्यक्ष उदित नारायण द्विवेदी ने रासायनिक खेती को त्यागने और जैविक उर्वरकों, गोबर, जीवामृत जैसे प्राकृतिक संसाधनों को अपनाने की बात कही। उन्होंने इसे दीर्घकालीन लाभकारी रणनीति बताया, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता और किसान की आमदनी दोनों में सुधार होता है।

प्रगतिशील जैविक किसान ने साझा किए अनुभव
किसान बोधगम्य एफपीसी लिमिटेड के हरिमोहन श्रीवास्तव ने 10 वर्षों के जैविक खेती अनुभव साझा करते हुए किसानों को इसके बाजार में बढ़ती मांग और स्वस्थ खेती पद्धतियों के लाभों की जानकारी दी। उनके अनुभवों से उपस्थित किसान विशेष रूप से प्रेरित हुए।

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सहकारिता विभाग व बैंक अधिकारियों की भागीदारी
कार्यक्रम में बी पैक्स अध्यक्ष दिनदयाल द्विवेदी, एडीओ सहकारिता राम सिंह, एवं जिला सहकारी बैंक शाखा प्रबंधक घनश्याम मौर्य ने किसानों को सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ऋण सुविधा, तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण के अवसरों की जानकारी दी।

स्थानीय भागीदारी और भविष्य की दिशा
इस कार्यक्रम में ललित किशोर तिवारी, शिवनंदन सेवा संस्थान, बी पैक्स के अन्य सदस्यगण एवं बड़ी संख्या में स्थानीय किसान मौजूद रहे। सभी ने चर्चा में भाग लेते हुए सतत एवं पर्यावरण-अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने का सामूहिक संकल्प लिया।

कार्यक्रम का समापन इस घोषणा के साथ हुआ कि भविष्य में नाबार्ड व अन्य सहयोगी संस्थानों की सहायता से सहकारिताओं को केंद्र में रखकर किसानों को सतत कृषि की ओर प्रेरित किया जाएगा।

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