शास्त्रीय, लोक, आधुनिक नृत्य विभिन्न रुप : गणेश मिश्र
बिरजू महाराज कथक संस्थान लखनऊ संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश एवं आनंदेश्वरम् संगीत अकादमी चित्रकूट के...

सात दिवसीय कथक नृत्य कार्यशाला का हुआ शुभारंभ
चित्रकूट। बिरजू महाराज कथक संस्थान लखनऊ संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश एवं आनंदेश्वरम् संगीत अकादमी चित्रकूट के संयुक्त तत्वावधान में सात दिवसीय कथक नृत्य कार्यशाला का आयोजन स्टेशन रोड कर्वी स्थित अग्रवाल धर्मशाला में प्रारम्भ हुआ।
कथक नृत्य कार्यशाला का उद्घाटन मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन मुख्य अतिथि गणेश मिश्र समाजसेवी एवं नृत्य प्रशिक्षिका नृत्यांगना आकांक्षा श्रीवास्तव, कार्यक्रम अध्यक्ष स्वाती अग्रवाल, विनय पांडेय प्रमुख आनंदेश्वरम् संगीत अकादमी व विजय नारायण ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि गणेश मिश्र ने कहा कि नृत्य एक कला है। नृत्य शरीर की गति का एक रुप है। इसके शास्त्रीय, लोक, आधुनिक नृत्य विभिन्न रुप है। यह शारीरिक मानसिक साधना है। आत्मानुशासन द्वारा इसे निखारा जा सकता है। नृत्य संगीत कठोर तपस्या का फल है जो मन मस्तिष्क को ऊर्जा से भर देती है। नृत्यांगना आकांक्षा श्रीवास्तव ने बच्चों को प्रशिक्षण विषय प्रस्तुत करते हुए कहा कि कथक शब्द का पारंपरिक प्रयोग कथक नृत्य से लिया जाता है। कथक शब्द की उत्पत्ति कथा कहानी से लिया गया है। जिसका शाब्दिक अर्थ कथा या कहानी सुनाने वाले लोग नृत्य के माध्यम से कथा या कहानी को प्रस्तुत करना कथक नृत्य कहलाता है। कहानी सदैव ताल और लय से ही बंधी होती है। कथक महज शारीरिक हलचल नहीं यह आत्मा का आंदोलन है। प्रशिक्षण का मुख्य विषय ताल पक्ष के तीन ताल का परिचय दिया गया तथा गणेश वंदना वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ पंक्ति को आधार बनाकर नृत्य भाव भंगिमा को प्रस्तुति की गई। आनंदेश्वरम संगीत संस्थान के प्रमुख विनय पांडेय ने बिरजू महाराज कथक संस्थान की अध्यक्ष डॉ कुमकुम धर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जनपद में कथक कार्यशाला यहां के बच्चों में नृत्य, संगीत के प्रति अभिरुचि पैदा हो सके तथा वह अपने मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर हो। इस अवसर पर प्रशिक्षण के लिए दर्जनों बच्चे उपस्थित रहे।
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