ग्रामीणों को इंजेक्शन से नहीं, झाड़-फूंक से जान बचाने पर अधिक भरोसा

बरसात का मौसम आ गया है। ऐसे में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ने लगी है। सर्प दंश के बाद लोगों की जान बचाने के लिए एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन..

ग्रामीणों को इंजेक्शन से नहीं, झाड़-फूंक से जान बचाने पर अधिक भरोसा
फाइल फोटो

मीरजापुर,

  • जिले के स्वास्थ्य केंद्रों पर पड़े हैं एंटी स्नेक वेनम के इंजेक्शन

बरसात का मौसम आ गया है। ऐसे में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ने लगी है। सर्प दंश के बाद लोगों की जान बचाने के लिए एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन की जरूरत होती है।

इसे लगाने से लोगों की जान बचने की संभावना बढ़ जाती है़, लेकिन जिलेभर के सरकारी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन होने के बावजूद दो साल से इसको लगवाने के लिए कोई नहीं आ रहा है। अधिकांश लोग आज भी झाड़-फूंक कराकर ही जान बचाने पर ही भरोसा करते हैं। इसी लापरवाही के चलते अधिकांश लोगों की जान चली जाती है।

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  • एक साल में जिले में पांच संर्प दंश की हुई घटनाएं, सभी की मौत

जनपद का आधा क्षेत्रफल छानबे, लालगंज, हलिया, मड़िहान, राजगढ़, पड़री, चुनार, जमालपुर, अहरौरा, अदलहाट आदि पहाड़ी क्षेत्र में आता है। इन इलाकों से सबसे अधिक जहरीले जंतु मिलते हैं। इसमें कोबरा, करैत, गोहटी आदि शामिल हैं जो बारिश के दौरान निचले इलाके में जलजमाव होने पर वहां से निकलकर ऊंचे स्थान पर पहुंचने लगते हैं।

अधिकांश जहरीले जंतु बारिश से बचने के लिए लोगों के घरों में शरण लेते हैं। इसके अलावा जंगली इलाके में भी रहते हैं। घरों में आने पर वे किसी न किसी को अपना शिकार बना लेते हैं। इससे उसकी मौत हो जाती है।

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सर्प दंश से बचने के लिए प्रत्येक सीएचसी, पीएचसी व न्यू पीएचसी पर एंटी स्नेक वेनम के 460 इंजेक्शन दिए गए हैं, लेकिन इसको लगवाने के लिए लोग नहीं आते हैं। आज भी ग्रामीण इलाके के लोगों को इंजेक्शन पर भरोसा नहीं है। वे अपने परिजनों की जान झाड़-फूंक के माध्यम से बचाना चाहते हैं। इसके चलते काफी देर हो जाती है और समय पर इलाज नहीं होने के कारण अक्सर लोगों की जानें चली जाती हैं।

मुख्य चिकित्साधिकारी, मीरजापुर डा. पीडी गुप्ता ने कहा कि सर्पदंश के बाद लोग झाड़-फूंक कत्तई न कराएं। इससे मरीज के लिए खतरा बढ़ जाता है। तत्काल सरकारी अस्पताल जाकर एंटी स्नेक वेनम सुई लगवाएं जिससे उसकी जान बच सके।

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  • एक व्यक्ति को लगता है एक वायल से दस वायल तक

सर्प दंश की घटना में मरीज को एंटी स्नेक वेनम के एक से दस वायल तक लगाए जाते हैं। कम जहरीले सर्प के काटने पर एक या दो वायल लगाए जाते हैं। अधिक जहरीले सर्प जैसे कोबरा व करैत के काटने पर दो से दस वायल तक लगाए जाते हैं।

इसके लिए मरीज को पहले ड्रीप लगाया जाता है। इससे उसके नश से कुछ ब्लड के सैंपल लिए जाते हैं। इसे पानी या केमिकल में घोलकर उसके जहर की मात्रा को पता करने का प्रयास किया जाता है। उसके अनुसार डोज दी जाती है। कभी-कभी अधिक डोज देने पर मरीज की मौत हो सकती है।

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  • आधे घंटे के अंदर होना चाहिए इलाज

कोबरा और करैत सबसे जहरीले सर्पो में माने जाते हैं। इनके काटने के तत्काल बाद एंटी स्नेक वेनम लगवाना चाहिए। इससे मरीज को बचाने में कामयाबी मिल जाती है। आधे से एक घंटे का समय बीत गया तो मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है।

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  • सांप काटे तो ये करें

कोई भी सांप काट ले तो घबराएं नहीं। कोई कपड़ा हो तो उसके ऊपर से तत्काल बांध दें। इसके बाद आराम से अस्पताल जाएं। अगर कोई साधन है तो उस पर बैठकर अस्पताल पहुंचें।

कहीं झाड़-फूंक नहीं कराएं। ऐसा कराने से आपकी जान खतरे में पड़ सकती है। इसलिए सर्प दंश के तत्काल बाद नजदीक के सरकारी अस्पताल पहुंचने का प्रयास करें।

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  • दो वर्ष में सर्पदंश से संबंधित नहीं आया एक भी मरीज

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चील्ह पर पांच वायल एंटी स्नेक वेनम के इंजेक्शन उपलब्ध है। यहां पर दो साल में कोई सर्प दंश का मरीज नहीं आया। इससे इंजेक्शन पड़ा हुआ है। हलिया के उच्चीकृत पीएचसी पर अप्रैल से लेकर अब तक छह मामले संर्प दंश के मामले आए।

इसमें पांच वायल 12 जून के दिन दो लोगों को लगा दिए गए। प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. अभिषेक जायसवाल ने बताया कि यहां पर 21 वायल उपलब्ध है। पड़री पीएचसी में एक वर्ष में मात्र दो वायल एक मरीज को लगाए गए।

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हि.स

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