यूपी में तहसीलदार सहायक कलेक्टर बने, अब सुनेगे ग्राम समाज की संपत्ति से जुड़े वाद
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा-14 (2) एवं 219 द्वारा राज्य सरकार में निहित शक्तियों..
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा-14 (2) एवं 219 द्वारा राज्य सरकार में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए उ0प्र0 राजस्व संहिता-2006 की धारा-67 में उल्लिखित कृत्यों के निर्वहन हेतु प्रदेश के उन क्षेत्रों में जहाँ उ0प्र0 राजस्व संहिता प्रवृत्त है, के समस्त तहसीलदार एवं तहसीलदार (न्यायिक) को असिस्टेंट कलेक्टर के कृत्यों के निर्वहन हेतु अधिकृत किये जाने के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है।
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प्रस्तावित प्रतिनिधायन से ग्राम सभा भूमियों पर अवैध कब्जे का निस्तारण शीघ्र हो सकेगा। ग्राम सभा भूमियों पर अवैध कब्जे शीघ्र हटाये जाने से जनसामान्य द्वारा लोकोपयोगी भूमियों का प्रयोग किया जा सकेगा।
राजस्व परिषद ने अजमत अली बनाम कलेक्टर लखनऊ वाद के फैसले में तहसीलदार स्तर से ग्राम समाज की संपत्ति पर अवैध कब्जे के संबंध में पारित आदेश को अवैध करार दिया था। निर्णय देने वाले राजस्व परिषद के तत्कालीन सदस्य गुरदीप सिंह ने व्यवस्था दी थी कि राजस्व संहिता-2006 लागू होने से पहले यूपी जमीदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम 1950 की धारा-122-बी में ग्राम समाज की भूमि पर अवैध कब्जे से जुड़े मामलों की सुनवाई का अधिकार सहायक कलेक्टर को था और सभी तहसीलदार को सहायक कलेक्टर घोषित किया गया था।
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दूसरी ओर, राजस्व संहिता में ग्राम सभा की संपत्ति की क्षति, दुरुपयोग और गलत अधिभोग को रोकने की शक्ति सहायक कलेक्टर को तो दी गई, लेकिन तहसीलदार को सहायक कलेक्टर घोषित नहीं किया गया। इसी आधार पर उन्होंने तहसीलदार न्यायालय द्वारा पारित आदेश को क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर किया गया फैसला बताते हुए निरस्त कर दिया था।
इस विधिक विसंगति को दूर करने के लिए राजस्व संहिता में संशोधन कर तहसीलदार को सहायक कलेक्टर घोषित करने का विकल्प भी बताया गया था। प्रदेश कैबिनेट ने राजस्व संहिता में संशोधन कर संहिता की धारा-67 में संशोधन कर सभी तहसीलदार व तहसीलदार न्यायिक को असिस्टेंट कलेक्टर का अधिकार दे दिया है।
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