जनता की आवाज डायनेमिक डीएम डॉ हीरा लाल

बुन्देलखण्ड का प्रमुख जनपद बांदा, आज भी अनेक मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। चाहे वह बिजली हो या फिर पानी हो..

जनता की आवाज डायनेमिक डीएम डॉ हीरा लाल
डीएम डॉ हीरा लाल बाँदा, DM Dr Heera lal Banda

बुन्देलखण्ड का प्रमुख जनपद बांदा, आज भी अनेक मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। चाहे वह बिजली हो या फिर पानी हो। बाँदा के विकास में रोजगार की कमी बजबूत बेड़ी का काम करती है, क्योंकि इस क्षेत्र में जनता के बीच स्व-रोजगार के लिए जागरूकता नहीं है। दूसरे अर्थों में स्टार्टअप इनोवेशन की बातें सिर्फ बातों में ही सीमित रहती हैं, कभी धरातल पर नहीं उतरती। इस सब के बीच यहाँ के विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों की वर्षाे से उपेक्षा ने पर्यटन की सम्भावनाएं को भी पनपने नहीं दिया। विकास के नाम पर इन मुद्दों पर चर्चा तो बहुत होती थी लेकिन क्रियान्वयन नहीं होता था।

 डीएम डॉ हीरा लाल बाँदा, DM Dr Heera lal Banda

समय बदला, जनपद बाँदा को उसका नया जिलाधिकारी मिला, जिसके सोचने का अंदाज व कार्य शैली औरों से जुदा थी। जिसके चलते डॉ हीरालाल ने जनपद में स्टार्टअप इनोवेशन सम्मिट, मतदाता जागरूकता बढ़ाने के लिए 90 प्लस अभियान, जेल सुधार कार्यक्रम, जल संकट से निपटने के लिए कुआ तालाब बचाओ अभियान, कुपोषण तथा अन्ना प्रथा को मिटाने व कालिंजर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के साथ-साथ प्रदेश सरकार की योजनाओं, कार्यक्रमों एवं प्राथमिकताओं को सफलतापूर्वक लागू की इच्छा शक्ति ने ही जिला अधिकारी हीरालाल की जनता के बीच अच्छी पैठ बना दी, या यूं कहे कि उन्होंने जनपद बाँदा के जिलाधिकारी से ज्यादा जनता के जिलाधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाई है।

यह भी पढ़ें - गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण में रखा जा रहा पर्यावरण का ध्यान

माना जाता है कि जिला अधिकारी का पद अपने आप में अत्यंत शक्तिशाली और चुनौतीपूर्ण होता है। प्रत्येक आईएएस अधिकारी की अभिलाषा होती है कि उसे जिला अधिकारी का पद मिले और वह इस पद पर रह कर अपनी योग्यता के अनुरूप अधिक से अधिक कार्य करें जिससे उसकी पहचान बन सके। जनपद में कई जिलाधिकारी आए लेकिन डॉ हीरालाल और जनता के बीच जो समन्वय देखा गया वह किसी भी अन्य जिलाधिकारी के साथ में नहीं देखा गया। उनकी कार्य शैली को देखकर ही ‘बुंदेलखंड न्यूज़’ ने अपनी खबरों में उन्हें ‘डायनामिक डीएम’ के नाम से सम्बोधित किया जो आगे चलकर उनकी पहचान बन गयी।

जनपद बाँदा में सबसे जटिल समस्या पानी की रहती है। जिला अधिकारी के रूप में हीरालाल ने जल संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए जन सहयोग लेकर कुआं-तालाब जियाओ अभियान चलाकर जल स्तर को बढ़ाने में अहम भूमिका अदा की। इसके अलावा मतदाता जागरूकता के तहत ‘90 प्लस हो मतदान-बाँदा बने देश की शान’ अभियान के जरिए लोकसभा चुनाव में लगभग 12 फ़ीसद मतदान का प्रतिशत बढ़ाने में कामयाबी हासिल कर प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रशांसा प्राप्त की। इतना ही नहीं विकास कार्यों को गति देते हुए जन कल्याणकारी योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचाने में पीछे नहीं रहे।

यह भी पढ़ें - क्या भाजपा सरकार थाने पर चलायेगी बुलडोजर : अखिलेश यादव

डॉ हीरालाल ने बाँदा में किए गए कार्यों को संकलित करके अपने प्रशासनिक अनुभवों को ‘डायनामिक डीएम’ नामक लिखी गई पुस्तक में साझा किया। यह पुस्तक प्रशासनिक अधिकारियों तथा भविष्य में प्रशासनिक सेवा में आने वाले युवाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगी। साथ ही यह पुस्तक जनपद में आने वाले जिला स्तरीय अधिकारियों के लिए भी प्रेरणादायक हो सकती है। जनपद में अनेक जिला स्तरीय अधिकारियों का आना जाना लगा रहता है लेकिन जिस तरह कार्य का जिला अधिकारी के रूप में डॉ हीरालाल ने किया वह आज भी यहां जनता के यादों में ताजा है।

 डीएम डॉ हीरा लाल बाँदा, DM Dr Heera lal Banda

जनता को यह आशा है कि जनपद की कमान संभाल रहे अधिकारियों को पूर्व अधिकारियों के अनुभव का लाभ लेते हुए वह जिले के विकास और समस्याओं के निस्तारण की कार्य योजना को तैयार करेंगे। जिसके चलते पूर्व अधिकारी द्वारा शुरू किए गए कार्य अधूरे न रह जाए। अगर डॉ हीरालाल की तरह हर जिलाधिकारी इसी भावना से कार्य करें तो निश्चित है कि उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों का वास्तविक विकास संभव होगा और मूलभूत समस्याओं से जनता को निजात मिलेगी।

यह भी पढ़ें - बुंदेलखंड एक्सप्रेस 16 मई से एलएचबी रैक से चलेगी, बढेगी स्पीड, जाने क्या है एलएचबी रैक

What's Your Reaction?

like
3
dislike
0
love
3
funny
0
angry
0
sad
0
wow
2