कोणार्क से कम नहीं महोबा का सूर्य मंदिर
इतिहास के पन्नों में कई अहम घटनाएं समेटे महोबा का सूर्य मंदिर सदियों का साक्षी है। कहा ये भी जाता है कि कोणार्क के सूर्य मंदिर से...
इतिहास के पन्नों में कई अहम घटनाएं समेटे महोबा का सूर्य मंदिर सदियों का साक्षी है। कहा ये भी जाता है कि कोणार्क के सूर्य मंदिर से काफी समय पहले ही चंदेला शासन में बुंदलेखंड में ऐसे पत्थर थे जहां से सूर्य की पूजा की जाती थी। कुछ ख़ास तरह से बने इस मंदिर को देखने की चाहत अब भी बड़ी संख्या लोगों को महोबा खींच लाती है।
आकर्षण का केन्द्र सूर्य मंदिर देश-विदेश में प्रसिद्ध है। रहेलियां के पास सूर्य उपासना के लिए सूरजकुंड और सूर्य मंदिर का निर्माण पांचवें चंदेल शासक राहिलदेव बर्मन ने अपने शासनकाल 8090 ई0 में कराया था। जिसके चारों ओर पत्थरों से अलंकृत एक कुंड तथा किनारे पर भगवान सूर्य का मंदिर है।
कहा जाता है कि 12 वीं शताब्दी में ही इस मंदिर के स्वरूप पर सबसे पहले कुतुबउद्दीन ऐबक ने आक्रमण किया और धन की लालसा में इस मंदिर को तहस-नहस करने की कोशिश की।
मंदिर के अवशेष रहेलियां सागर तट तालाब के किनारे दूर तक फैले है। मंदिर के निकले पत्थर सहेज कर नहीं रखे गये जिससे इधर-उधर बिखरे है। कुतुबउद्दीन ऐबक के अलावा गयासुद्दीन ने भी इस मंदिर पर आक्रमण किया। आक्रमण से पहले छह सूर्य मंदिरों का समूह था लेकिन आक्रमण के बाद भी राहिल सागर के तट पर स्थित यह सूर्य मंदिर आकर्षक का केन्द्र बना हुआ है।
सूर्य मंदिर से करीब 100 मीटर पहले सूर्यकुंड बना हुआ है। इसमें 30 फिट गहरा पानी भरा हुआ है। कुंड का पानी कभी सूखता नहीं है। लोग यहां स्नान भी करते है। कुंड मंे नीचे तक सीढ़िया बनी है। परिसर में काली जी का प्राचीन मंदिर भी है। सूर्य मंदिर के प्रवेश द्वार का हिस्सा काफी गिर गया है। मंदिर के अंदर जाने पर सूर्य की आकृतियां नजर आती है। दीवारों पर कई आकृतियां बनी हुई है।
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इसे देख पुरातत्त्ववेत्ता अधीक्षक एएसई (लखनऊ) इंदु प्रकाश मानते हैं कि कोणार्क मंदिर और महोबा के मंदिर में गहरा रिश्ता है।जानकारी के अनुसार 12वीं सदी में ही इस मंदिर के स्वरूप पर सबसे पहला वार कुतुबुद्दीन एबक ने किया और धन की लालसा से इसका कुछ हिस्सा गिरा दिया था। मंदिर के अवशेष रहेलिया सागर तट तालाब के किनारे दूर तक फैले देखे जा सकते हैं।
ऐसे में इस प्राचीन मंदिर के संरक्षण के लिए अब तक कोई ठोस योजना तक नहीं बनी। इंदु प्रकाश ने कहा कि फिलहाल सूर्य मंदिर के कायाकल्प करने के शासन से कोई दिशा निर्देश नहीं है।
इस बारे में महोबा जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार का कहना है कि महोबा जिले में पर्यटन की आपार सम्भावनाएं है , बहुत ही ऐसी पुरातत्व इमारतें , तालाब , मंदिर है जो समुचित देखरेख न होने की वजह से जींर्ण शीर्ण हालात में है, मेरे जिले में आने के बाद सभी की स्वयं विजिट करके जिसमें लहचूरा अर्जुन बाँध, महोबा के तालाब, चरखारी के तालाब पुरातत्व इमारतें के समुचित रखरखाव की व्यवस्था की जा रही है। पार्काे का निर्माण किया जा रहा है, जिससे महोबा एक आदर्श पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सके।
आवागमन
वायु मार्गः सबसेे निकटतम हवाई अड्डा खजुराहो विमान क्षेत्र है। खजुराहो से महोबा 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्गः महोबा रेलवे स्टेशन बाँदा, झाँसी, ग्वालियर, दिल्ली और मुम्बई आदि जगहों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ी हुई है।
सड़क मार्गः महोबा सड़क मार्ग द्वारा कई प्रमुख शहरों बाँदा, चित्रकूट, हमीरपुर, झाँसी जैसे अनेक नगरों से सड़क मार्ग द्वारा सीधा जुड़ा हुआ है।
प्रमुख दर्शनीय स्थल
शिव तांडव मंदिर
चंद्रिका देवी मंदिर
कीरत सागर
चरखारी (बुन्देलखण्ड का कश्मीर)
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