देश की अकेली नदी जो सात पहाड़ों का सीना चीर कर बहती है

उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद से होकर गुजरने वाली केन नदी की कल्पना करते ही गर्मियों में...

देश की अकेली नदी जो सात पहाड़ों का सीना चीर कर बहती है

केन नदी का जल प्रपात

उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद से होकर गुजरने वाली केन नदी की कल्पना करते ही गर्मियों में पतली सी धारा में बहती नदी की तस्वीर आंखों के सामने आ जाती है। यह नदी बरसात में बाढ़ आते ही बड़ी हो जाती है, लेकिन इसी नदी का विकराल रूप भी है।

अगर अभी तक इसका विकराल रूप नहीं देखा है तो विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल खजुराहो आइये और यहां से महज 12 किमी0 दूर रंग बिरंगी चट्टानों के बीच बहती इस नदी की जल धारा देखिये। करीब पांच किमी लम्बे क्षेत्र में फैली इस नदी की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता कि इसकी जल धारा कई छोटे बड़े जल प्रपातो की श्रंखला बनाता है।

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इसका पानी 98 फीट गहराई में गिरता है। मानसून के दौरान तो यहां की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। यह अपनी प्राकृतिक छटा के कारण ही टूरिस्टो की पसंदीदा स्थल बन गया है और इसे ’रनेह वाटर फाल’ के नाम से जाना जाता है। यहां पायी जाने वाली चट्टाने गुलाबी लाल और ग्रे कलर की है।

इसके अलावा डोलोमाइट की चट्टाने भी है। अपनी विशेषता के कारण ही यह देश के 25 प्रमुख वाटरफाल में शामिल है। यह मध्य प्रदेश के राज्य छतरपुर जिले के अंतर्गत आता है। केन नदी में बने इस फाल के पास ही मगरमच्छ राष्ट्रीय उद्यान भी स्थापित किया गया है। साथ ही ग्रीन पिस्टिन वन पूर्ण प्राकृतिक स्वर्ग की एक झलक देता है।

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इस जगह के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह कि यहां बरसात के मौसम में नियमित रूप से फैले छोटे बड़े फाल होते है। इस झरने वाले इलाके में चट्टानों और अचूक चट्आनों के आसपास हरे भरे पेड़ पौधे पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेते है।

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उद्गम स्थल पर मिलते हैं चंदेल वंश के प्रमाण

रनेह फाल के बारे में कहा जाता है कि इस क्षेत्र के प्रसिद्ध राजा रनेह प्रताप सिंह के नाम पर इस फाल का नाम पड़ा। राजाओं के शासन काल में राजा पुरूष यहां शिकार करने आते है और उनके आमोद प्रमोद का भी यह प्रमुख स्थल था जिसकी वजह से इसका ऐतिहासिक महत्व है।


अपने अद्भुत मूर्तियों और मंदिरों की वास्तुकलाओं के लिए दुनिया भर में मशहूर खजुराहो पहुंचाने के बाद टैक्सी या किराये पर कार लेकर रनेह पाल पहंुचा जा सकता है। खजुराहो में सार्वजनिक और निजी बसों की व्यापक कनेक्टिविटी है। रनेह में झरने से 98 फुट नीचे पानी गिरता है।

ऊंचाई से नीचे देखने पर रोंगटे खड़े हो जाते है इसलिए वहां पहुंचकर इस बात का ध्यान रखे कि वेरीकेटिंग के पास खड़े होकर नीचे की ओर न देखे। झुकने के कारण दुर्घटना हो सकती है पूर्व में कुछ घटनाएं हो चुकी है।

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