गर्भगृह में प्रतिष्ठित हुए भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमानजी

गंगा दशहरा के पावन अवसर पर गुरुवार को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में भगवान श्रीराम दरबार सहित विभिन्न...

Jun 6, 2025 - 10:20
Jun 6, 2025 - 10:21
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गर्भगृह में प्रतिष्ठित हुए भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमानजी

गंगा दशहरा पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में भव्य प्राण प्रतिष्ठा, मुख्यमंत्री योगी ने की आरती

अयोध्या। गंगा दशहरा के पावन अवसर पर गुरुवार को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में भगवान श्रीराम दरबार सहित विभिन्न देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। इस ऐतिहासिक धार्मिक क्षण का साक्षी बनने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं अयोध्या पहुंचे और अभिजीत मुहूर्त (पूर्वाह्न 11:25 से 11:40 बजे) में विधिवत पूजन के उपरांत श्रीराम दरबार की आरती उतारी।

इस विशेष अनुष्ठान में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी तथा सदस्य डॉ. अनिल मिश्र भी उपस्थित रहे। त्रिदिवसीय अनुष्ठान के अंतिम दिन मंदिर परिसर में आध्यात्मिक वातावरण मंत्रोच्चार और वैदिक विधियों से गुंजायमान रहा।

मुख्य गर्भगृह में भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न एवं हनुमानजी के विग्रहों की प्रतिष्ठा के साथ ही श्रीराम जन्मभूमि परिसर में स्थित सभी अष्ट देवालयों में भी एक साथ प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई। इस प्रक्रिया को एक केंद्रीय प्रणाली के तहत कैमरा और स्क्रीन के माध्यम से सभी मंदिरों में एकसाथ जोड़ा गया था।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र संवाद केंद्र के अनुसार, प्रातः 6:30 बजे से यज्ञमंडप में देवताओं का आह्वान कर पूजन प्रारम्भ हुआ, जो दो घंटे तक चला। इसके पश्चात नौ बजे से हवन हुआ और फिर केंद्रीय पद्धति के अनुसार समस्त नव निर्मित मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा की विधि पूरी की गई।

श्रीराम दरबार और शेषावतार के अतिरिक्त मंदिर परिसर में जिन देवताओं की प्रतिष्ठा हुई, उनमें परकोटा के ईशान कोण में भगवान शिव, अग्निकोण में श्री गणेश, दक्षिणी भुजा के मध्य में हनुमानजी, नैऋत्य कोण में भगवान सूर्य, वायव्य कोण में मां भगवती और उत्तरी भुजा के मध्य में अन्नपूर्णा माता प्रमुख हैं।

इस दिव्य आयोजन ने श्रद्धालुओं और राम भक्तों के लिए एक अलौकिक अनुभूति प्रदान की और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के साथ-साथ उसकी आध्यात्मिक गरिमा को भी नई ऊंचाइयां प्रदान कीं।

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