इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पैकेजिंग शजर पत्थर की पैकेजिंग डिजाइन तैयार करेगी

उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा में पाया जाने वाला शजर पत्थर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी अपना जादू बिखेरता है..

इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पैकेजिंग शजर पत्थर की पैकेजिंग डिजाइन तैयार करेगी

बांदा,

उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा में पाया जाने वाला शजर पत्थर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी अपना जादू बिखेरता है। इससे तैयार होने वाली कलाकृतियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में धूम मचा सकती हैं। इसे सरकार ने ओडीओपी में शामिल करके इससे जुड़े उद्यमियों को रोजगार मुहैया कराने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में अब इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पैकेजिंग शजर पत्थर से तैयार किए गए कलाकृतियां व जेवरात की पैकेजिंग डिजाइन तैयार करेगा।

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इस संबंध में मंगलवार को ओडीओपी व इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पैकेजिंग दिल्ली द्वारा जनपद के शजर पत्थर के उत्पादकों की पैकेजिंग से संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया । इस मौके पर इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पैकेजिंग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ निलय प्रामानिक ने कार्यशाला में मौजूद शजर शिल्पियों को बताया कि किसी भी उत्पाद को बेचने के लिए उसकी आकर्षक पैकेजिंग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अगर उसे बेहतर ढंग से पैकेजिंग करके बाजार में एक ब्रांड बनाकर उतारा जाए।

तो ग्राहक पैकेजिंग देखकर ही आकर्षित हो जाता है और उस उत्पाद को खरीदने में रुचि लेता है। शजर पत्थर अपने आप में अनोखा पत्थर है जो केवल विश्व में बांदा में पाया जाता है। जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मांग है। हम इसकी बेहतर ढंग से डिजाइन कर पैकेजिंग करेंगे। जिसमें ‘शजर आफ बांदा’ लिखा होगा। इसके साथ ही उसमें शजर पत्थर का इतिहास और उसके विशेषता का भी उल्लेख रहेगा। जिससे ग्राहक शजर पत्थर से बनाई गई कलाकृतियां और जेवरात खरीदने में रुचि लेंगे। 

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कार्यशाला में मौजूद शजर शिल्पी द्वारिका प्रसाद सोनी ने बताया कि इस पत्थर से बने कलाकृतियां और जेवरात की विदेशों में बहुत मांग है।  मैं वर्ष 2019 में यूरोप के नीदरलैंड गया था। जहां इसकी प्रदर्शनी लगाई थी। मात्र 6 घंटे के अंदर 3 लाख भारतीय मुद्रा में इसकी बिक्री हुई थी।

अगर इसकी अच्छे ढंग से डिजाइन करके पैकेजिंग की जाएगी तो निश्चित ही इस उद्योग को और बढ़ावा मिलेगा। कार्यशाला में आईआईपी दिल्ली के जितेंद्र कुमार, ओडीओपी के कंसलटेंट साकेत, जिला उद्योग केंद्र बांदा के उपायुक्त उद्योग गुरुदेव मौजूद थे। इनके अलावा हस्तशिल्पी नजीर बेग, द्वारिका सोनी, कैलाश जडिया, रमेश यादव, उमेश कुमार, रवि शंकर सोनी, शमशाद, अशोक कुमार ,अनुज जडिया आदि मौजूद रहे।

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