महोबा अधिकारीयों के भ्रष्टाचार की भेट चढ़ रही है सरकार की मनरेगा योजना
महोबा जनपद के पनवाड़ी ब्लाक में सरकार द्वारा लोगों के महानगरों में होने वाले पलायन को रोककर..
महोबा जनपद के पनवाड़ी ब्लाक में सरकार द्वारा लोगों के महानगरों में होने वाले पलायन को रोककर गांव स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है,
मनरेगा योजना भी सरकार द्वारा पलायन रोकने हेतु चलायी जा रही योजनाओं में से एक है। लेकिन महोबा जनपद में मनरेगा योजना अधिकारियों की लापरवाही एवं खाऊ कमाई नीति के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ रही है।
इस योजना के तहत गांव स्तर पर काम करने वाले मनरेगा के पंजीकृत मजदूरों को हाड़-तोड़ मेहनत के बाद भी उन्हें अपनी मेहनत की मजदूरी नहीं मिल पा रही है।
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जिसका उदाहरण है, जनपद के वन विभाग की लिलव नर्सरी में काम करने वाले दो दर्जन मजदूरों का कहना है, कि उनके द्वारा लंबे समय से काम किया जा रहा है। कुछ मजदूरों की जून 2020 तथा कुछ मजदूरों की 1 वर्ष से लगभग एक लाख की मजदूरी का भुगतान अभी नहीं हुआ है।
इतना ही नहीं, नर्सरी में काम करने वाले चौकीदार बारेलाल पाल का भी आरोप है कि, उसे पिछले वर्ष की ₹35000 की मजदूरी आज तक नहीं मिली है।
अधिकारी आजकल की बात कहकर टरका रहे हैं। शिकायत करने पर काम से हटाने की बात करके लोगों को डरा दिया जाता है।
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मजदूरों का यह भी आरोप है कि उन्हें सरकारी रेट के अनुसार मजदूरी नहीं मिल रही है। ₹201 के ऐवरेज में आज भी ₹175 प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरों को मजदूरी दी जा रही है।
गांव स्तर पर हाड़-तोड़ मेहनत करने के बाद भी सही और समय से मजदूरी न मिलने से हताश मजदूरों के द्वारा महानगरों की ओर पलायन करने का रुख बना लिया गया है।
इस संबंध में बात करने पर क्षेत्रीय वन अधिकारी अवधेश प्रताप सिंह बुंदेला का कहना है कि कुछ लोगों की मजदूरी शेष होने की जानकारी संज्ञान में है।
जिनके मास्टर रोल तैयार किए जा रहे हैं और पूरा भुगतान किया जाएगा। जब उनसे कम मजदूरी देनें की बात पूछी तो इस बात पर उन्होंने वह चुप्पी साद ली।
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