डायट में संस्कृत एवं मराठी आधारित समर कैंप का हुआ शुभारंभ
शिक्षा मंत्रालय के आदेश के क्रम में निदेशक एससीईआरटी के निर्देश पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्राचार्य...

चित्रकूट। शिक्षा मंत्रालय के आदेश के क्रम में निदेशक एससीईआरटी के निर्देश पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्राचार्य एवं उप शिक्षा निदेशक डॉ आदर्श कुमार त्रिपाठी के मार्गदर्शन में वरिष्ठ प्रवक्ता नीलम यादव द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर डीएलएड प्रशिक्षुओं के सात दिवसीय भारतीय भाषा समर कैंप का शुभारंभ किया। प्राचार्य ने संस्कृत भाषा की शब्दावलियों को दैनिक व्यवहार में उपयोग करने के लिए सभी को उत्प्रेरित किया।
संस्कृत भाषा पर आधारित यह समर कैंप 4 से 12 जून तक चलेगा। भारतीय भाषा समर कैंप के नोडल प्रभारी मोहित कुमार सिंह ने जय जय हे भगवती सुर भारती सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रथम दिवस में संस्कृत भाषा के महात्म्य पर विस्तार से विचार रखा और कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा एवं गौरव है। यह संस्कृति का भी प्रवेश द्वार है। यह ज्ञान एवं विज्ञान की भाषा है। इस भाषा में वेद, पुराण, उपनिषद, आयुर्वेद, संगीत आदि सब कुछ समाहित है। प्रवक्ता अखिलेश कुमार पांडेय ने संस्कृत भाषा के महत्व को समझाते हुए कहा कि विश्व में विद्यमान समस्त भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा है जो मधुर, सब प्रकार के दोषों से रहित, अति ललित, पवित्र तथा वैज्ञानिक भाषा है। वेद, शास्त्र, उपनिषद्, गीता, रामायण, महाभारत आदि सभी भारतीय संस्कृति के ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गये हैं। ये मानव जीवन के चरम लक्ष्य (मोक्ष प्राप्ति) के साधक हैं। डीएलएड प्रशिक्षु अंजलि गुप्ता ने मराठी भाषा के महत्व को स्पष्ट करते हुए बताया कि मराठी भाषा महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा होने के साथ, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, साहित्य और कला का एक महत्वपूर्ण वाहक है। यह भाषा भारत के इतिहास, संस्कृति और साहित्य को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मराठी भाषा महाराष्ट्र के लोगों की पहचान का भी अभिन्न अंग है। समर कैंप में संस्थान के सभी प्रवक्ताओं एवं प्रशिक्षुओं ने प्रतिभाग किया।
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