खुफिया कैमरों पर चीन के डॉक्टरों ने खोली पोल, जानलेवा वायरस पर झूठ बोलने का था दबाव

कोरोना पर चीन के काले कारनामों के राज एक के बाद दुनिया के सामने आने लगे हैं। इस भयावह बीमारी को छिपाने..

खुफिया कैमरों पर चीन के डॉक्टरों ने खोली पोल, जानलेवा वायरस पर झूठ बोलने का था दबाव

कोरोना पर चीन के काले कारनामों के राज एक के बाद दुनिया के सामने आने लगे हैं। इस भयावह बीमारी को छिपाने और इस राज को बाहर नहीं देने के लिए स्थानीय चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को इस महामारी की खबर को छिपाने और दबाने के लिए दबाव बनाया गया।

इसका खुलासा खुफिया कैमरों पर दिए इन चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों के बयान से सामने आया है। दुनियाभर में 9 करोड़ 61 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित करने वाला और 20 लाख से अधिक लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस फैलने में चीन की लापरवाही व हठधर्मिता का नतीजा है।

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इससे कई देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित होने के साथ करोड़ों लोगों की जिंदगियों को तहस-नहस करके रख दिया। वुहान के इन स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा है कि वे दिसंबर 2019 से ही जानते थे कि वायरस लोगों की जान ले रहा है, लेकिन चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को जनवरी के मध्य  में जाकर यह बताया कि इससे मौतें हो रही हैं।

डॉक्टरों ने यह भी कहा है कि वे जानते थे कि वायरस एक से दूसरे मनुष्य में फैल रहा है, लेकिन हॉस्पिटलों को सच बयां नहीं करने को कहा गया था। उन्होंने चीनी नए साल के उत्सवों पर रोक की मांग भी की थी, लेकिन अधिकारियों ने इसे अनसुना कर दिया।

आईटीवी के एक डॉक्युमेंट्री 'आउटब्रेक: द वायरस दैट शूक द वर्ड' में डॉक्टरों को यह सच्चाई स्वीकार करते हुए दिखाया है, जिसमें सुरक्षा कारणों की वजह से उनके चेहरों को छिपा लिया गया है। यह ऐसे समय पर सामने आया है जब डब्ल्यूएचओ समर्थित एक पैनल ने सोमवार को कहा कि बीजिंग ने इस आउटब्रेक की जानकारी देने में देर की।

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हाल ही में अमेरिका में उन दावों को प्रकाशित किया गया है कि वायरस वुहान लैब से लीक हुआ। डॉक्युमेंट्री में डॉक्टरों के बयान से इस बात को और बल मिला है कि चीन ने कोरोना वायरस संक्रमण की उत्पत्ति को शुरुआत में छिपाने की कोशिश की और दुनिया से झूठ पोला, जिसकी वजह से यह पुरी दुनिया में महामारी बन गया।

चीन ने 31 दिसंबर 2019 को अज्ञात बीमारी के 27 केसों की जानकारी दी थी और जनवरी मध्य तक किसी मौत की सूचना नहीं दी थी। हालांकि, एक सिटिजन जर्नलिस्ट की ओर से खुफिया तरीके से बनाए गए वीडियो में डॉक्टर कहते हैं कि वे पहले से जानते थे कि वायरस जानलेवा है।

इसमें एक डॉक्टर कहता है, ''दिसंबर के अंत या जनवरी की शुरुआत में, मेरे एक जानकार का रिश्तेदार वायरस से मरा था। मेरे जानकार सहित उनके साथ रहने वाले सभी लोग संक्रमित थे।' 12 जनवरी को भी चीन ने डब्ल्यूएचओ से कहा था कि इस बात के स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि यह संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति में फैल रहा है।

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एक अन्य चाइनीज डॉक्टर ने कहा, ''हम सबने महसूस किया था कि मानव से मानव में संक्रमण फैलने को लेकर कोई शंका नहीं थी।'' डॉक्टरों ने यह भी बताया कि उन्हें बाहर सच्चाई नहीं बयां करने को कहा गया था।

उन्होंने कहा, ''हम जानते थे कि वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में फैल रहा है। लेकिन जब हम हॉस्पिटल की मीटिंग में कहा हमें बाहर नहीं बोलने को कहा गया। प्रांतीय नेताओं ने अस्पतालों को सच नहीं बताने को कहा था।'' 21 जनवरी को जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरस पर पहली स्टेटस रिपोर्ट दी थी तब चीन में कम से कम 278 लोग संक्रमित हो चुके थे और यह तीन देशों तक फैल चुका था।

डॉक्टरों ने कहा कि अधिकारी लूनर न्यू इयर सेलिब्रेशन से जोखिम के बारे में जानते थे कि यात्रा और भीड़भाड़ से संक्रमण फैल सकता है। 

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हिन्दुस्थान समाचार

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