राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में बांदा के जल योद्धा पद्मश्री उमाशंकर पांडे दिल्ली आमंत्रित

जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए बांदा जिले को राष्ट्रीय पहचान मिलने जा रही है। महामहिम राष्ट्रपति...

राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में बांदा के जल योद्धा पद्मश्री उमाशंकर पांडे दिल्ली आमंत्रित
जल योद्धा पद्मश्री उमाशंकर पांडे

बांदा। जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए बांदा जिले को राष्ट्रीय पहचान मिलने जा रही है। महामहिम राष्ट्रपति के कर कमलों से जिले को यह सम्मान 22 अक्टूबर को विज्ञान भवन, दिल्ली में आयोजित होने वाले पांचवें राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में प्रदान किया जाएगा। इस ऐतिहासिक अवसर पर बांदा जिले का प्रतिनिधित्व करने पद्मश्री उमाशंकर पांडे आमंत्रित किए गए हैं।

श्री पांडे ने इस अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए कहा,

"यह पुरस्कार किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे जिले का है। बांदा जिले के राज, समाज और सरकार की सामूहिक भागीदारी और पारंपरिक व नवीन जल संरक्षण प्रयासों का यह फल है। भारत के 700 से अधिक जिलों में से केवल 6 जिलों को इस सम्मान के लिए चुना गया है, और उनमें से एक बांदा भी है।"

यह भी पढ़े : उप्र में दीपावली से पहले पड़ने लगेगी गुलाबी ठंड

उन्होंने आगे कहा,

"व्यक्तिगत पुरस्कार मिलना सामान्य बात है, लेकिन जब पूरे जिले को यह सम्मान मिलता है, तो यह सभी जनपदवासियों के लिए गर्व की बात होती है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव नमामि गंगे और जिलाधिकारी बांदा के साथ मुझे भी सम्मानपूर्वक आमंत्रित किया गया है। भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा यह सम्मान दिया जा रहा है। इस समारोह में जल शक्ति मंत्री, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और देश-विदेश के जल विशेषज्ञ भी उपस्थित रहेंगे।"

श्री पांडे ने बताया,

"यह एक छोटे से प्रोत्साहन के रूप में हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है, और हमें आगे और भी बड़े प्रयास करने की आवश्यकता है। यह पुरस्कार जल संरक्षण की दिशा में हमें और अधिक प्रयास करने की प्रेरणा देता है।"

यह भी पढ़े : राजस्थान भाजपा की सह प्रभारी विजया रहाटकर बनीं राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बुंदेलखंड का इतिहास जल संरक्षण में साहसिक प्रयासों से भरा है। "यह वही बुंदेलखंड है, जहां पानी की कमी के बावजूद मालगाड़ी से भेजे गए पानी को लेने से मना कर दिया गया था। बुंदेलखंड में एक कहावत है—'बुंदेलौ की सुनो कहानी, बुंदेलौ की वाणी में, पानीदार यहां का घोड़ा आग यहां के पानी में।' हमें गर्व है कि हमारे बुंदेलखंड की माटी में जल और आग दोनों के प्रति बहादुरी की मिसालें मिलती हैं।"

जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए 25 वर्षों के उनके अथक प्रयासों की चर्चा करते हुए, श्री पांडे ने कहा कि यह सामूहिक प्रयास का परिणाम है और यह सम्मान बांदा और पूरे बुंदेलखंड के लिए एक बड़ा गौरव है।

What's Your Reaction?

like
0
dislike
0
love
0
funny
0
angry
0
sad
0
wow
0