बाँदा : एमआरआई जांच के लिए अब नहीं भटकना पड़ेगा
गंभीर बीमारियों की जांच के लिए एमआरआई जांच जरूरी है मगर इसकी सुविधा बांदा और आसपास के जनपद..

गंभीर बीमारियों की जांच के लिए एमआरआई जांच जरूरी है मगर इसकी सुविधा बांदा और आसपास के जनपद में नहीं है, जिससे एमआरआई जांच के लिए बांदा और आसपास के लोगों को कानपुर लखनऊ जाना पड़ता था।
लेकिन अब शासन की ओर से पीपीसी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनर) के तहत बांदा मेडिकल कॉलेज में इसकी व्यवस्था होने जा रही है और जून माह तक एम आरआई का सेटअप तैयार होने की संभावना है।
गंभीर बीमारियों का पता लगाना हो या हादसे के समय लगने वाली आंतरिक चोटों की जांच, इन सभी के लिए एमआरआइ एक ऐसी जांच है जिसके माध्यम से महीन से महीन नस को भी चेक किया जा सकता है।
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जनपद बांदा, हमीरपुर, महोबा व चित्रकूट के किसी भी सरकारी अस्पताल में अभी तक एमआरआइ की जांच की सुविधा नहीं थी।
अकेले बांदा मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल में रोजाना करीब 25 से 30 मरीजों को एमआरआइ जांच कराने की सलाह दी जाती है। ऐसे में मरीजों को कानपुर, झांसी, लखनऊ, प्रयागराज आदि शहरों में जांच के लिए जाना पड़ता है।
पिछले दिनों फैले कोरोना संक्रमण को लेकर जहां शासन ने अस्पतालों को सुविधाओं से लैस किया तो वहीं एमआरआई सुविधा देने को भी गंभीरता से लिया गया।
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जारी गाइड लाइन में बांदा, जालौन, बहराइच व कानपुर के अस्पतालों को जोड़कर एक पूल बनाया गया है। करीब तीन करोड़ से ज्यादा की लागत की हर जगह एमआरआइ यूनिट, चिकित्सक व स्टाफ आदि उपलब्ध कराने के लिए एक कंपनी का निर्धारण करने के लिए फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. संगीता अनेजा को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
उन्होंने राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को पत्र भेज कॉलेज में भवन बिजली आदि की व्यवस्था करने के आदेश दिए है।
इस बारें में राजकीय मेडिकल कॉलेज बांदा के प्राचार्य डॉ. मुकेश यादव ने बताया कि राजकीय मेडिकल कॉलेज में एमआरआइ की व्यवस्था के लिए टीम सर्वे करेगी। एक्सपर्ट की सर्वे रिपोर्ट के बाद जून माह तक एमआरआइ का सेटअप तैयार होने के संभावना है।
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