बांदा : जिले के इस गांव में मुर्दे भी करते हैं मजदूरी, जानिये पूरी कहानी

सरकार ने गांव से लोगों का पलायन रोकने के लिए मनरेगा की योजना लागू की थी। जिसमें गांव के मजदूरों को...

बांदा : जिले के इस गांव में मुर्दे भी करते हैं मजदूरी, जानिये पूरी कहानी

सरकार ने गांव से लोगों का पलायन रोकने के लिए मनरेगा की योजना लागू की थी। जिसमें गांव के मजदूरों को गांव में ही काम मिल सके। लेकिन ग्राम प्रधान और सचिव की मिलीभगत से इस योजना में बड़े पैमाने पर धांधली की जाती है। सरकारी धन हड़पने के लिए मृतकों, वृद्ध व अपात्र लोगों के नाम मस्टररोल में भरकर लाखों रुपए का बंदरबांट किया जाता है। इसका ताजा उदाहरण नरैनी ब्लॉक का बिल्हरका गांव है। जहां मस्टररोल में मुर्दों के नाम भी भरकर उन्हें मजदूरी करते हुए दिखाकर उनके नाम का पैसा हड़प किया जा रहा है।

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 बिल्हरका गांव मध्य प्रदेश की सीमा से जुड़ा हुआ है। जो जिले का अंतिम गांव है। जिले की आखिरी ग्राम पंचायत होने के कारण अधिकारी इस गांव तक सरकारी योजनाओं का निरीक्षण करने नहीं पहुंचते हैं। यही वजह है कि ग्राम प्रधान और सचिव मिलकर मनमानी करते हैं। वैसे भी यहां मजदूरों के बजाय अधिकतर कार्य मशीन के जरिए कराए जाते हैं और बहुत से ऐसे कार्य हैं जो कराए ही नहीं गए। किंतु उक्त कार्यों को पूर्ण दिखाकर मजदूरी का पैसा निकाल लिया गया।

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 इसके कुछ जीते जागते प्रमाण भी है। जैसे माया पत्नी रज्जू निवासी भांवरपुर की मृत्यु 28 दिसंबर 2016 को हो गई थी। मृत्यु होने के बाद भी माया जॉब कार्ड धारक है। उसका जॉब कार्ड संख्या 82 है। मृतक माया अपने जॉब कार्ड संख्या 82 में मनरेगा के कार्यों में मजदूरी कर रही है। जिसके नाम से लगातार मजदूरी का पैसा निकाला जा रहा है। इसी तरह रानी पत्नी अशोक प्राथमिक विद्यालय भांवरपुर में रसोईया का काम करती है। उसने मनरेगा में कभी काम नहीं किया है फिर भी अलग-अलग तारीखों में मस्टररोल में नाम भरकर उसके नाम की मजदूरी निकाली गई है। जिन तारीखों में उसे मजदूरी करते दिखाया गया है। उन तारीखों में विद्यालय में काम कर रही थी। इसी तरह शौकत पुत्र भवानीदीन ग्राम भांवरपुर के हैं।

इनकी उम्र 70 वर्ष थी जिनकी मृत्यु हो चुकी है। यह कभी मजदूरी करने नहीं गए। इनका जॉब कार्ड संख्या 366 है। जिसके जरिए इन्हें लगातार 2022 में मजदूरी करते दिखाया गया और इनके नाम का पैसा हड़प लिया गया। प्रेमा देवी पत्नी दयालु की भी मृत्यु हो चुकी है। इनके नाम का भी भुगतान किया गया है। शिवरतन पुत्र रामधनी गांव से पलायन कर गए हैं फिर भी इस गांव में मजदूरी कर रहे हैं। रहमान पुत्र शौकत मुंबई में रहकर पेंटिंग का काम करता है। इनके जॉब कार्ड का संख्या 397 है। रहमान मुंबई से प्रतिदिन अपने गांव आकर मनरेगा में काम नहीं कर सकता। फिर भी इनके जॉब कार्ड में लगातार मजदूरी दिखाकर पैसा हड़प किया जा रहा है।

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इसी तरह जमिलिया पत्नी रसीदा पेंशन धारक है। भगवनिया पत्नी रामदीन जी अस्वस्थ है। उठ बैठ भी नहीं पाती है फिर भी इन्हें मजदूरी करते दिखाया गया। यह कुछ उदाहरण है जिससे साबित होता है कि मनरेगा में मजदूरी के नाम पर भारी धांधली की जा रही है। इसी क्रम में गांव के जागे पुत्र चुनुबाद, जागेश्वर पुत्र झुलु, बेटू पुत्र भोला, कल्लू पुत्र मुन्ना, गोपाल पुत्र भाऊ सकीना पत्नी सूबेदार, भवानीदीन पुत्र सुखवा, जिन्नत पत्नी तसव्वुर शांति पत्नी कंधे, भूरी पत्नी जुम्मन, सफीक पुत्र मौला बॉक्स सभी पेंशन धारक हैं। इनकी उम्र 65 वर्ष से ज्यादा है। कभी भी काम करने नहीं गए। इन सभी के खातों में फर्जी भुगतान किया गया है।

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इस बारे में विद्या धाम समिति अतर्रा के सचिव राजा भैया ने जिला अधिकारी बांदा से शिकायत की है उन्होंने यह भी बताया कि जहां बड़ी संख्या में फर्जी लोगों के नाम भर के भुगतान कराए गए हैं। वही जो मजदूर काम कर रहे हैं। उनका भुगतान भी नहीं कराया जा रहा है। सचिव ने जिलाधिकारी से इस मामले में जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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