एकादशी व्रत से नही हो सकती अकाल मृत्यु : अमित कृष्ण शास्त्री

देवनगर, झील का पुरवा में चल रही भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास आचार्य अमित कृष्ण शास्त्री जी महाराज...

एकादशी व्रत से नही हो सकती अकाल मृत्यु  :  अमित कृष्ण शास्त्री

बताया कि नित्य दीपदान से जीवन की दरिद्रता, पाप नष्ट हो जाते है   

चित्रकूट। देवनगर, झील का पुरवा में चल रही भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास आचार्य अमित कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने एकादशी के व्रत का वर्णन करते हुए कहा की संसार मे अनेको व्रत है। सबकी महिमा है। लेकिन एकादशी व्रत नही महाव्रत है। हर एक परिवार मे कम से कम एक व्यक्ति को एकादशी व्रत रहना चाहिए। इस व्रत का फल यह है की अकाल मृत्यु नही हो सकती। जीव सभी पापो से मुक्त हो कर श्री हरि का प्रिय हो जाता है। भरत जैसा भाई, गंगा जी जैसा तीर्थ, भीष्म जैसा पूत, भागीरथ जैसा सपूत, राम नाम जैसा महामंत्र एवं एकादशी जैसा महाव्रत बड़ा ही दुर्लभ होता है। तुलसी भगवान श्री हरि की पटरानी है। तुलसी भगवान श्री हरि को बहुत प्रिय है। श्री नारायण हरि कभी भी बिना तुलसी के पूजन भोग स्वीकार करते है। नित्य दीपदान से हमारे जीवन की दरिद्रता, पाप नष्ट हो जाते है। जीव यम के भय से मुक्त हो जाता है।

श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि रुक्मणि विवाह की कथा आध्यात्म की बहुत गहराइयों से भरी हुई है इस कथा से हमको प्रभु की प्राप्ति का उपाय प्राप्त हो सकता है क्योंकि जैसे रुक्मणि जी ने कृष्ण को नही देखा था वैसे ही हमको भी देखने को नही मिले तब रुक्मणि जी को क्यों मिले हमको क्यों नही मिल रहे है इसी रहस्य को कथा के माध्यम से हम सबको समझना होगा।
 तत्पश्चात कथा व्यास ने सुंदर झांकियों के साथ कथा का विस्तार से वर्णन किया। कथा सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध होकर नाचने लगे। आरती पश्चात प्रसाद का वितरण किया गया। इस मौके पर यजमान लालू प्रसाद व माया देवी सहित सैकड़ो की संख्या मे श्रोतागण मौजूद रहे।

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