चतुष्कोणीय मुकाबला के साथ-साथ बबेरू विधानसभा क्षेत्र ऐतिहासिक मोड़ पर भी

जनपद बांदा में बबेरू विधानसभा क्षेत्र में इस बार यहां के समीकरण कुछ ऐसे बन रहे हैं कि तमाम लोगों के मन में यह बात यह बातें भी..

Feb 21, 2022 - 08:03
Feb 21, 2022 - 08:06
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चतुष्कोणीय मुकाबला के साथ-साथ बबेरू विधानसभा क्षेत्र ऐतिहासिक मोड़ पर भी

जनपद बांदा में बबेरू विधानसभा क्षेत्र में इस बार यहां के समीकरण कुछ ऐसे बन रहे हैं कि तमाम लोगों के मन में यह बात यह बातें भी जन्म ले रही है कि शायद बबेरू विधानसभा क्षेत्र इस बार ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा हो। यहां हर रोज नए नए समीकरण देखने और सुनने को मिलते हैं। जिससे जनता यही कयास लगा रही है कि यदि ऐसा हुआ  तो ये दल, यदि ऐसा हुआ तो फलां दल, यदि ऐसा हुआ हो तो फलां दल सीट निकाल सकता है।

अभी भी वस्तुस्थिति स्पष्ट नहीं है। अर्थात यहां चतुष्कोणीय मुकाबला देखने में आ रहा है। जिसमें बसपा से रामसेवक शुक्ला, सपा से विशंभर सिंह यादव, भाजपा से अजय पटेल और कांग्रेस से गजेंद्र सिंह पटेल मैदान पर हैं। यहां से मुख्य दल सवर्णों को टिकट देने से हमेशा कतराते नजर आये वजह यह है कि इस क्षेत्र में एससी और पिछड़े (यादव और पटेल) ही बड़ी तादाद में हैं तथा सवर्णों में ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य और कायस्थ मिलकर ही 50-55 हजार का आंकड़ा तय करते हैं।  

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71 सालों में 17 जनप्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र में अपनी सेवाएं दी हैं। जिनमें 13 बार ओबीसी ( 5 बार पटेल, 6 बार यादव, 1 बार विश्वकर्मा, 1 बार कुशवाहा) और 4 बार एससी वर्ग का प्रतिनिधित्व रहा। क्षेत्र के तमाम लोगों का कहना है कि  बसपा ने यहां जो दांव खेला है उससे हो सकता है कि दलित सवर्ण गठजोड़ से क्षेत्र में एक ऐतिहासिक परिवर्तन हो, कोई सवर्ण भी यहां से विधानसभा का रास्ता अख्तियार कर ले।  

बसपा प्रत्याशी रामसेवक शुक्ला, बसपा के समर्पित कार्यकर्ता रहे, तथा बसपा सरकार में कुछ माह तक दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री भी रहे। बसपा प्रत्याशी की मजबूती बसपा के वोटर्स और सवर्ण मतदाताओं की  एकजुटता पर निर्भर है। सपा प्रत्याशी विशंभर सिंह यादव इस क्षेत्र से लगातार दो बार 2007-2017 तक विधायक रहे तथा इस बार भी वो मुख्य लड़ाई में हैं। प्रदेश में सपा की लहर, वादों की झड़ी और क्षेत्र में बड़ी तादाद में यादव मतदाता और मुस्लिम तथा कुछ अन्य जातियों के आने से सपा प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर निश्चिंत नजर आ रहे हैं।भाजपा से अजय पटेल भी एक मजबूत प्रत्याशी के रूप में सबके समक्ष हैं। पटेल मतदाता भी इस क्षेत्र में बहुतायत में हैं।

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इसके अलावा राम मंदिर, हिंदुत्व, कानून व्यवस्था, सभी जाति के निर्धनों को पक्का मकान, हर घर शौचालय, हर घर नल परियोजना, बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे आदि कार्यों को लेकर वो अपनी मजबूत स्थिति इस चुनाव में मान रहे हैं। यदि पिछले चुनाव की भांति गैर यादव पिछड़ी जातियां और सवर्ण एक साथ आता है तो अजय पटेल भी इस चुनाव में बाजी मार सकते हैं। 

बसपा रामसेवक शुक्ला, सपा विशंभर सिंह यादव, भाजपा अजय पटेल, कांग्रेस गजेंद्र सिंह पटेल

लेकिन उनके साथ दुविधा यह है कि कांग्रेस ने भी यहां से एक कद्दावर नेता गजेंद्र सिंह पटेल को टिकट दे रखा है। जिससे बेस वोट कटने का डर कहीं न कहीं बना हुआ है। गजेंद्र सिंह पटेल भी अपनी जीत का दावा मजबूती से कर रहे हैं। बिरादरी का बेस वोट अपने साथ बता रहे हैं, मुस्लिम, दलित और गैर यादव पिछड़ी जातियां तथा कुछ सवर्ण जातियां भी उनके साथ नजर आ रही हैं। दूसरा प्रियंका गांधी की आधी आबादी के सशक्तिकरण के लिए तमाम वादों पर अगर यहां की महिला मतदाताओं ने भरोसा किया तो वो बोलते हैं ऐसी स्थिति में जीत हमारी ही होगी।

जातिगत आंकड़े लगभग में

  1. दलित - 70 - 75 हजार
  2. यादव - 50 - 55 हजार
  3. पटेल - 35 - 40 हजार
  4. सवर्ण - 50 - 55 हजार
  5. निषाद - 20 - 22 हजार
  6. मुस्लिम - 15 - 20 हजार
  7. अन्य ओबीसी जातियां - 55 - 60 हजार

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