केचुआ खाद उत्पादन की नवीन तकनीकी अपनाकर ग्रामीण महिलाएं आजीविका चला सकती है : कुलपति

केचुआ खाद उत्पादन की नवीन तकनीकी को अपनाकर ग्रामीण महिलाएं अपना एव अपने परिवार का आजीविका चला सकती है..

केचुआ खाद उत्पादन की नवीन तकनीकी अपनाकर ग्रामीण महिलाएं आजीविका चला सकती है : कुलपति
केचुआ खाद उत्पादन (earthworm manure production)

केचुआ खाद उत्पादन की नवीन तकनीकी को अपनाकर ग्रामीण महिलाएं अपना एव अपने परिवार का आजीविका चला सकती है। यहा से प्रशिक्षण से अपना, अपने परिवार का तथा अपने समाज का केचुआ खाद उत्पादन में मदद कर सकती है।

आज बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बाँदा में जैविक कृषि एवं केचुआ खाद उत्पादन तकनीक पर आधारित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंम्भ  के दौरान यह बात प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बाँदा के कुलपति डा.यू.एस. गौतम ने यह बात कही।

यह भी पढ़ें - बुंदेलखंड की विशिष्ट जलवायु में ड्रैगन फ्रूट एक उम्मीदों भरा फल है : कुलपति

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रतिभागी महिला किसान तथा कैडर, राष्ट्रीय आजीविका मिशन बाँदा का नवीन तकनीकी तथा व्यवहारिक कुशलता पर प्रशिक्षित करने के लिए आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बाँदा के कुलपति डा. यू.एस. गौतम द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ प्रारंभ किया गया। 

कुलपति ने अपने संबोधन में महिला कृषको को ग्रामीण कृषि एवं उद्याम सक्रिय एवं कुशल प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया। महिलाओं को परिवारिक जिम्मेदारियों के साथ व्यावसायकि कार्याे को करने हेतु प्रेरित किया। उन्होने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम निश्चित तौर ग्रामिण महिलाओं के लिए लाभदायक होगा।  

यह भी पढ़ें - बुन्देलखण्ड के लोग कुपोषण से बचने को, पोषक मोटे अनाज का उपयोग करें

डा. पंवार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत आये हुए प्रशिक्षाणार्थी महिला किसानों से अनुरोध किया कि प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने घर अथवा प्रक्षेत्र पर कम स्थान पर केचुआ उंत्पादन इकाई अवश्य लगाये। मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष, डा. जगन्नाथ पाठक द्वारा संम्मानित अतिथियों एवं कृषि संखियों का स्वागत किया गया। 

डा. पाठक ने उपस्थित सभी प्रशिक्षाणार्थी महिला किसानों से अनुरोध किया कि प्रशिक्षण के दौरान प्रश्न पूछकर तथा प्रयोगिक ज्ञान प्राप्त कर इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का लाभ उठाये। पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजक सचिव व सहायक प्राध्यापक, मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग डा देव कुमार द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा एवं उददेश्य, बताया गया।

उन्होने अपने ब्याख्यान में यह भी बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम मुख्य रूप से जैविक कृषि एवं केचुआ खाद उत्पादन तकनीक पर आधारित है जिसमे केचुआ खाद बनाने हेतु प्रयोगिक ज्ञान के साथ-साथ उसकी बरिकियों तथा प्रयोग करने विधि पर विस्तार से जानकारी दी जायेगी।

यह भी पढ़ें - ‘ओजोन परत के क्षरण के लिए हमारी आधुनिक जीवन शैली जिम्मेदार’ 

इस कार्यक्रम में डा. संजीव कुमार, अधिष्ठाता, वानिकी महाविद्यालय, डा. अजय कुमार सिंह प्रभारी, अधिष्ठाता, उद्यानिकी महाविद्यालय, डा. सौरभ, प्रभारी, अधिष्ठाता ग्रहविज्ञान, ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ायी तथा उपस्थित महिला प्रशिक्षाणार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान किया।
 डा. भानुप्रकाश मिश्रा, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष कृषि प्रसार विभाग ने धन्यबाद ज्ञापित किया। 

कार्यक्रम में डा. वी.के गुप्ता, डा जुगुल किशोर तिवारी सहायक प्राध्यापक मृदा विज्ञान, डा राहुल कुमार राय, डा अभिषेक कालिया, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के  सुनील कुमार, जिला मिशन प्रबन्धक, , मोहन सिंह व प्रभात बीएमएम, डीआरपी अशोक राज तथा विकासखंड स्तर के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

यह भी पढ़ें - कृषि विश्वविदालय में वैज्ञानिकों ने भोजन में पोषण मान बढ़ाने को छात्र-छात्राओं को किया जागरूक

What's Your Reaction?

like
0
dislike
0
love
0
funny
0
angry
0
sad
0
wow
0