योगी सरकार का फैसला : एडाप्ट ए हेरिटेज नीति से होगी चुनार किले की देखरेख

प्रदेश की योगी सरकार ने एडाप्ट ए हेरिटेज नीति के तहत अपनी धरोहर-अपनी पहचान के अंतर्गत चुनार किले को भी शामिल किया है..

Aug 18, 2021 - 06:28
Aug 18, 2021 - 06:36
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योगी सरकार का फैसला : एडाप्ट ए हेरिटेज नीति से होगी चुनार किले की देखरेख
चुनार किले ( Chunar Fort )

मीरजापुर,

  • पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित होगा चुनार व चुनार किला

प्रदेश की योगी सरकार ने एडाप्ट ए हेरिटेज नीति के तहत अपनी धरोहर-अपनी पहचान के अंतर्गत चुनार किले को भी शामिल किया है। इसकी देखरेख के लिए स्मारक मित्र बनाए जाएंगे और ये स्मारक मित्र चुनार किला परिसर में अपने संसाधनों से स्थलीय विकास के साथ पर्यटकों के लिए सुविधा व वार्षिक रख-रखाव आदि की व्यवस्था करेंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ / Chief Minister Yogi Adityanath

सरकार के इस फैसले से चुनार किले का रख-रखाव सुदृढ़ होगा और क्षेत्र के पर्यटन को फिर से उम्मीदों के पंख लगेंगे। पूर्व में चुनार किले को इको टूरिज्म व स्वदेश दर्जन योजना में शामिल किया गया था, लेकिन वह योजना परवान नहीं चढ़ी और अपेक्षित विकास नहीं हुआ।

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  • रोजगार सृजन के साथ अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की आमद बढ़ने की जगी उम्मीद

राष्ट्रीय स्तर पर लोगों के जेहन में चुनार किले ने तब पहचान बनाई, जब नब्बे के दशक में दूरदर्शन पर चंद्रकांता धारावाहिक का प्रसारण किया गया। चुनारगढ़ का तिलस्मी किला दूरदर्शन के माध्यम से घर-घर पहुंचा। पर्यटन व संस्कृति विभाग का प्रयास है कि बनारस आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को आसपास के क्षेत्रों तक ले जाया जाए। ऐसे में अब एडाप्ट ए हेरिटेज योजना के जरिए हजारों साल पुराना इतिहास और इसका पौराणिक महत्व अनूठे अहसास के साथ पर्यटकों के सामने होगा।

गौरवशाली इतिहास सहेजे चुनार दुर्ग और इसके आसपास के दर्शनीय स्थलों का पर्यटन की दृष्टि से विकास करने के बाद यहां आने वाले सैलानियों से स्थानीय स्तर पर रोजगार तो बढ़ेगा ही, साथ ही चुनार क्षेत्र पर्यटन के राष्ट्रीय मनचित्र पर स्थापित होगा। इस संबंध में पिछले वर्ष 11 फरवरी को चुनार आए तत्कालीन पर्यटन व संस्कृति सचिव व जिले के नोडल अधिकारी रविकुमार एनजी ने अपने मातहतों को कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए थे।

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  • किले की बदलेगी सूरत और जनसुविधाओं का होगा विस्तार

'एडाप्ट ए हेरिटेज नीति के तहत अपनी धरोहर, अपनी पहचान' में पुरातात्विक महत्व वाले स्मारक चुनार किले के रख-रखाव के लिए स्मारक मित्र बनाने की योजना है, जो सीएसआर फंड से इसका रख-रखाव करेंगे। इससे चुनार किले की सूरत निश्चित रूप से बदलेगी।

देखरेख के अभाव में उपेक्षित चुनार किले के हर कोने से सैलानी परिचित होंगे। वहीं पर्यटन के साथ रोजगार का भी अपेक्षित विकास होगा। उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग) द्वारा संरक्षित स्मारक का स्थलीय विकास, रख-रखाव और जनसुविधाओं का प्रबंधन सार्वजनिक उद्यम इकाइयों व निजी क्षेत्र की सहभागिता से कराया जाएगा।

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  • बनारस आने वाले सैलानियों के लिए बढ़ेगा आकर्षण

वर्ष पर्यंत बनारस भ्रमण के लिए आने वाले लाखों पर्यटकों की पर्यटन सूची में अब तक गंगा के घाट, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर, सारनाथ आदि स्थल थे, लेकिन अब चुनार किला भी उनके आकर्षण का केंद्र होगा। एक तरफ इसका प्रचार-प्रसार होगा तो दूसरी ओर पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी।

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  • पर्यटन व संस्कृति को मिलेगा बढ़ावा

पौराणिक और अति प्राचीन नगरी चुनार अपने आप में ही एक संपूर्ण पर्यटन स्थल है। चुनार किले में मौजूद बावली, सोनवा मंडप, धूप घड़ी आदि प्राकृतिक सौंदर्य हर किसी का मन मोहने के लिए काफी है। विधायक अनुराग सिंह ने बताया कि पूर्व में पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी के साथ वार्ता के दौरान चुनार किले को विकसित करने के लिए कई प्रस्तावों पर सहमति बनी थी।

गुसाई श्री विट्ठलनाथ की प्राकट्य स्थली, चुनार दुर्गा मंदिर, पुरानी तहसील भी पर्टन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। चुनार में गंगा पर बने पुल के बाद वाराणसी से वाया अदलपुरा होते हुए मात्र 23 किलोमीटर की दूरी होने के चलते पर्यटकों की पहुंच में भी चुनार आ जाएगा।

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  • चुनार किले में पर्यटकों के रात्रि प्रवास की नहीं है व्यवस्था

चुनार किले में देशी-विदेशी पर्यटकों के रात्रि प्रवास की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। ऐसे में वाराणसी से आने वाले पर्यटक शाम होते ही वापस काशी का रुख कर लेते हैं। यदि रात्रि प्रवास की व्यवस्था स्विस काटेज अथवा अस्थाई हट जैसे विकल्पों के रूप में कराई जाए तो वाराणसी से यहां पर्यटकों को लाकर रात्रि विश्राम कराने में आसानी होगी।

इससे आय के स्रोत बढ़ेंगे और पर्यटक यहां की खूबसूरती को इत्मीनान से निहार सकेंगे। साथ ही किले के अंदर ही सर्व सुविधायुक्त कैफेटेरिया, हेरिटेज शाप आदि की व्यवस्था भी कराई जा सकती है। जहां क्राकरी, कार्पेट, रेड क्ले की मूर्तियां आदि स्थानीय हैंडीक्राफ्ट्स सैलानियों को आसानी से मिल सके। गंगा किनारा होने के चलते वाटर स्पोर्ट्स की संभावनाओं पर भी विचार किया जा सकता है।

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  • आसपास के दर्शनीय स्थल

चुनार किला के साथ-साथ प्राचीन दुर्गा खोह मंदिर, गुसाई श्री विट्ठलनाथ की प्राकट्य स्थली, अदलपुरा स्थित शीतला मंदिर, प्रस्तर कला का बेहतरीन नमूना कासिम सुलेमानी की दरगाह व इफ्तेखार खां का रौजा समेत करीब 22 किलोमीटर दूर खूबसूरत जलप्रपात सिद्धनाथ की दरी समेत अन्य कई दर्शनीय स्थल यहां हैं।

चुनार विधायक अनुराग सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार के इस निर्णय से चुनार और चुनार किला दोनों को पर्यटन के राष्ट्रीय मानचित्र पर पहचान मिलेगी। चुनार का पर्यटन विकास शुरू से मेरे एजेंडे में है। इसके लिए केंद्र और प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजकर लगातार प्रयास किए गए हैं। इस निर्णय के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी बधाई के पात्र हैं।

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हि.स

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