राजनीतिक दलों की रणभूमि बनी वीरभूमि महोबा, क्यों यही से प्रमुख नेता ठोंक रहें हैं ताल ?
आगामी विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड की 19 सीटों पर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की नजर है..
आगामी विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड की 19 सीटों पर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की नजर है। यही वजह है कि वीरभूमि महोबा राजनीतिक दलों की पहली पसंद बन गई है। 19 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी, 27 नवंबर को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका और एक दिसंबर को पूर्व सीएम अखिलेश यादव रथयात्रा लेकर पुलिस लाइन के पास स्थित ग्राउंड पहुंचे यहां से उन्होने भी हुंकार भरी है।
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वैसे तो आल्हा-ऊदल के शौर्य, वीरता व देशावरी पान के लिए महोबा देश-विदेश में विख्यात है। इस दफा के विधानसभा के चुनाव को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल महोबा से बिगुल फूंक रहे हैं। बुंदेलखंड की सभी 19 सीटों पर इस समय भाजपा का कब्जा है। ऐसे में अन्य राजनीतिक दल बुंदेलखंड से सीटें निकालने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। सपा मुखिया ने उसी मैदान से जनसभा को संबोधित किया, जिससे प्रधानमंत्री व सूबे के मुख्यमंत्री ने विधानसभा चुनाव का शंखनाद किया था।
आजादी के बाद से ही बुंदेलखंड का यह मध्यप्रदेश की सीमा से जुड़ा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है। लेकिन तीन दशकों से यहां पर बसपा, सपा और भाजपा बीजेपी का वर्चस्व कायम है। 2017 के चुनावों में चरखारी, महोबा दोनों विधानसभा सीटें भाजपा की झोली में चली गईं। बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रमुख दलों की नजरें टिकी हैं।
यही कारण है कि 11 दिन में 19 नवंबर को प्रधानमंत्री की जनसभा, कांग्रेस की 27 नवंबर प्रतिज्ञा रैली, सपा की एक दिसंबर को विजय रथ यात्रा शामिल है। इससे अंदाजा लगता है कि वीरभूमि से बुंदेलखंड की अन्य सीटों पर भी निगाहें टिकी हैं। लगातार पार्टी को मिल रही हार से कांग्रेस के कई दिग्गज साथ छोड़ कर जा चुके हैं। पार्टी में जिलास्तर पर अंदरूनी कलह बढ़ती जा रही है।
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प्रतिज्ञा रैली में इसकी झलक भी देखने को मिली। रैली में भीड़ देख प्रियंका भी उत्साहित दिखीं, अब भविष्य में यह भीड़ वोट में कितना तब्दील होगी यह समय बताएगा।