139 वर्ष पहले राजा मलखान सिंह जूदेव ने शुरू कराया था यह प्रसिद्ध मेला
महोबा की तहसील चरखारी में वर्तमान समय गोवर्धन मेले का आयोजन चल रहा है यह बार्षिक मेला जिसकी शुरूआत चरखारी रियासत..
महोबा की तहसील चरखारी में वर्तमान समय गोवर्धन मेले का आयोजन चल रहा है यह बार्षिक मेला जिसकी शुरूआत चरखारी रियासत के राजा मलखान सिंह जूदेव ने विक्रमी संवत 1940 सन,1883 में कराई थी तब से लगातर ये प्रथा नगरवासियों द्वारा प्रशानिक मदद से सम्पन्न कराई जा रही है जिसमें क्षेत्र के आसपास के लोगो द्वारा भागीदारी की जाती है, एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
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यह मेला गोवर्धन नाथ जू मेला के नाम से प्रसिद्ध है। क्योकि मेला गोवर्धन नाथ जी मंदिर प्रांगण में ही लगता है । धार्मिक दृष्टि से इस मेले को बड़े ही महत्त्वपूर्ण आयोजन के रूप में मनाया जाता है। पुरातन परम्परा अनुसार इस मेले की शुरुआत दीपावली के दूसरे दिन परवा को गुमानविहारी मंदिर से भगवान गोवर्धन को गोवर्धन नाथ मंदिर लाया जाता है एवं उनके आगमन के साथ मेले की औपचारिक शुरुआत हो जाती है मेले का पूर्ण प्रारंभ दीपावली के 11 दिन बाद एकादशी से शुरू होकर एक माह के लिए किया जाता है। मेले में हजारों की भीड़ शामिल होती है एक माह तक यहां पर पवित्र तीर्थ वृंदावन के अनुसार ही दृश्य एवं झाँकियाँ देखने को मिलती है।
यह मेला भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओ पर आधारित है 108 कृष्ण देव के मध्य में श्री गोवर्धन नाथ जू की अनुपम झांकी तथा मंदिरों की दुर्लभ एवं निराली छटा जिसमें गोवर्धन पर्वत को कनिष्ठ उंगली पर धारण किया जाना विशेष दर्शनीय है।एक माह तक मेले में विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।जैसे-विष्णु यज्ञ, भागवत कथा, रामलीला, रासलीला के अलावा बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कोरोना काल मे 2 बर्ष तक सरकारी नियम की बाध्यता के कारण इस मेले का आयोजन नहीं हो पाया, इस आयोजन में क्षेत्रीय एवं दूर दूर के दुकानदारों द्वारा स्टाल लगा कर क्षेत्रीय एवं अन्य सामग्री की विक्री भी जाती है इसलिये रोजगार की दृष्टि से भी ये मेला मुख्य भूमिका अदा करता है ।
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