प्रदेश के 29 जिलों में चलेगा दस दिवसीय टीबी रोगी खोज अभियान
देश को वर्ष 2025 तक क्षय रोग मुक्त बनाने के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह गंभीर है इस संकल्प को धरातल पर उतारने को लेकर नए कार्यक्रम शुरू करने के साथ ही पहले से चल रहे..
क्षय रोग उन्मूलन को लेकर सरकार प्रतिबद्ध : जय प्रताप सिंह
देश को वर्ष 2025 तक क्षय रोग मुक्त बनाने के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह गंभीर है। इस संकल्प को धरातल पर उतारने को लेकर नए कार्यक्रम शुरू करने के साथ ही पहले से चल रहे कार्यक्रमों में और तेजी लायी जा रही है। टीबी उन्मूलन को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों और योजनाओं के बारे में प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने बुधवार को जूम मीटिंग के जरिए विस्तार से जानकारी दी।
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उन्होंने बताया कि कोविड-19 के दौरान टीबी मरीजों की खोज और पहचान के लिए चलाये जा रहे अभियान पर भी असर पड़ना स्वाभाविक था लेकिन आगामी एक नवंबर से प्रदेश के 29 जिलों में एक बार फिर सघन टीबी रोगी खोज (एक्टिव केस फाइंडिंग) अभियान शुरू होने जा रहा है। दस दिन तक चलने वाले इस अभियान के दौरान घर-घर जाकर टीम लोगों की स्क्रीनिंग करेगी और जिनमें लक्षण नजर आएंगे उनके बलगम की जांच कराई जाएगी। उन्होंने टीबी के अलावा दस्तक अभियान और टीकाकरण अभियान के बारे में भी विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रूपये प्रतिमाह दिए जाने के लिए अप्रैल 2018 में लाई गई निक्षय पोषण योजना बड़ी मददगार साबित हुई है। योजना के तहत प्रदेश में अब तक 162 करोड़ रुपये की धनराशि प्रत्यक्ष लाभ हस्तातंरण के माध्यम से क्षय रोगियों को प्रदान की जा चुकी है। यह भुगतान सीधे बैंक खाते में किया जाता है। जिन क्षय रोगियों का बैंक खाता नहीं है, उनका खाता इन्डियन पोस्टल पेमेंट्स बैंक द्वारा मरीजों के घर जाकर खोला जा रहा है ।
शेड्यूल एच-1 रजिस्टर में दर्ज होगा टीबी मरीज का ब्योरा
राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद में शुरू होने वाले एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान के तहत केमिस्ट एवं मेडिकल स्टोर संचालको की सीएमओ सभागार में संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित हुई। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. एमसी पाल ने बताया कि टीबी मरीज खोजने लिए साल में दो बार अभियान चलाया जाता है। 40 हजार घरों में संभावित टीबी रोगियों को खोजने के लिए 80 टीमें गठित की गई हैं। जनपद में 1.60 लाख आबादी पर यह अभियान चलाया जाएगा।
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उन्होंने कहा कि मेडिकल संचालकों को टीबी मरीजों की दवा व अन्य जानकारी रखना आवश्यक है। ड्रग इंस्पेक्टर श्रीकांत गुप्ता ने स्टोर संचालकों को निर्देश दिया कि टीबी रोगियों द्वारा ली जा रही दवा, चिकित्सक का नाम व अन्य जानकारी शेड्यूल एच-1 रजिस्टर में दर्ज करें। ऐसा न किए जाने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।
कार्यशाला में केमिस्ट एसोसिएशन अध्यक्ष संतोष कुमार, पीपीएम कोआर्डिनेटर गणेश प्रसाद, टीबी जिला समन्वयक प्रदीप कुमार वर्मा, शिवम दुबे, बृजेंद्र साहू, आमिर हाशमी सहित कर्मी शामिल रहे।