तकनीक बन रही हमारी शिक्षा व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग
वर्चुअल क्लास आज की मजबूरी नहीं, बल्कि आने वाले विराट भविष्य की आवश्यकता है। तकनीक हमारी शिक्षा व्यवस्था..

प्रयागराज,
- प्रधानाचार्य ने पढ़ाया दायित्वों व जिम्मेदारियों का पाठ
वर्चुअल क्लास आज की मजबूरी नहीं, बल्कि आने वाले विराट भविष्य की आवश्यकता है। तकनीक हमारी शिक्षा व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग बन रही है। यह बातें विद्या भारती सम्बद्ध रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इण्टर कॉलेज के प्रधानाचार्य बांके बिहारी पाण्डेय ने कही।
शुक्रवार को प्रधानाचार्य के निर्देशन में विद्यालय के समस्त कक्षा प्रमुख एवं अनुशासन प्रमुख भैया-बहनों के साथ गूगल मीट ऐप के माध्यम से गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें उन्होंने उनके दायित्वों, कार्यों एवं जिम्मेदारियों के बारे में विस्तार से बताया।
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प्रधानाचार्य ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में जहां तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता सरल न हो वहां मोबाइल फोन, लैपटॉप, कम्प्यूटर या अन्य प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गजट हम सब के मध्य न केवल प्रचलित हुए हैं अपितु हमारे स्वभाव, संस्कृति, भाषा, रहन-सहन, शिक्षा पद्धति में अति शीघ्र गति से शामिल हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि यदि हम ठीक प्रकार से प्रशिक्षित न हो साथ ही इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अत्यधिक एवं दिशा विहीन उपयोग करते चले जाएं तो यह सभी न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन के लिए हानिकारक होंगे अपितु समाज व राष्ट्र के लिए भी चुनौती बनेंगे।
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श्री पाण्डेय ने कहा कि आज के ऑनलाइन शिक्षण-प्रशिक्षण तकनीक के उपयोग ने हमें भौतिक रूप से दूर होने पर भी एक स्क्रीन पर साथ-साथ और बहुत नजदीक पहुंचा दिया है। ऐसे में आभासी ऑनलाइन प्रसारित शिक्षण प्रक्रिया को रुचिकर, उपयोगी और हमारे लक्ष्य को साधने में सुलभ बनाने के लिए विद्यालय, प्रधानाचार्य, आचार्य एवं भौतिक संसाधनों के साथ-साथ ज्ञानार्जन को समर्पित छात्रों एवं अभिभावकों के अलग-अलग दायित्वों के निर्वहन की विद्यालय अपेक्षा करता है।
उन्होंने सभी प्रतिभागी छात्र-छात्राओं से कहा कि आप अपने मन के तमाम प्रश्नों, सुझावों और जिज्ञासाओं को बोलकर अथवा ऑनलाइन संदेश के रूप में लिखकर हमें भेज सकते हैं। विद्यालय के संगीताचार्य मनोज गुप्ता ने बताया कि प्रधानाचार्य ने इस दौरान 32 सेक्शन के समस्त अनुशासन प्रमुख एवं कक्षा प्रमुखों के साथ संवाद स्थापित किया। गोष्ठी में छात्र-छात्राओं के साथ उनके कक्षाचार्य भी जुड़े थे। तकनीकी व्यवस्था आचार्य दीपक दयाल एवं सुनील गुप्ता तथा गोष्ठी का संयोजन शिवजी राय ने किया।
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