महोबा के देशावरी पान को भारत सरकार द्वारा मिला जीआई टैग

महोबा के देशावरी पान को अब अपनी अलग पहचान मिल गई है। यहां पैदा होने वाले पान को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग मिल गया है..

महोबा के देशावरी पान को भारत सरकार द्वारा मिला जीआई टैग
महोबा के देशावरी पान..

महोबा के देशावरी पान को अब अपनी अलग पहचान मिल गई है। यहां पैदा होने वाले पान को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग मिल गया है। 5 अक्टूबर 2021 को वाराणसी में चौरसिया समाज सेवा समिति महोबा को पंजीकरण प्रमाण पत्र मिलेगा। अब महोबा का पान और भी प्रसिद्ध होगा।

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इसके पूर्व पिछले वर्ष लजीज स्वाद के लिए विख्यात महोबा के पान किसानों को प्रदेश सरकार ने फसल बीमा योजना से जोड़ दिया है। यदि दैवी आपदा के दौरान फसल बर्बाद होती है तो फसल बीमा योजना के तहत आर्थिक मदद मिल सकेगी।

महोबा में बड़े पैमाने पर पान की खेती की जाती है। यहां का पान देश के अन्य इलाकों संग विदेशों में भी चमक बिखेर रहा है। पान किसानों को फसल बीमा योजना से जोड़ने के लिए काफी समय से मांग की जा रही थी। पान किसानों की ये मांग अब पूरी हो गई है। फसल खराब होने पर पान किसानों को साढ़े सात लाख रुपया प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा मिलेगा। 

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राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान केंद्र लखनऊ के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक व जिले के प्रगतिशील पान किसान डा. रामसेवक चौरसिया का कहना है कि दो दशक पहले तक जिले में 500 एकड़ में पान की खेती होती थी, लेकिन अब यह सिमटकर 50 एकड़ में रह गई है। पान की खेती से जिले के 150 किसान जुड़े हैं।

महोबा के देशावरी पान..

महोबा का देशावरी पान पश्चिमी उत्तर प्रदेश व दिल्ली तक जाता है। लखनऊ, पीलीभीत, रामपुर, बरेली, सहारनपुर आदि स्थानों पर भी पान भेजा जाता है। पहले पान का प्रतिवर्ष का कारोबार पांच से सात करोड़ रुपये था, लेकिन अब यह घटकर एक से डेढ़ करोड़ रुपये तक रह गया है।

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