नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई इस वेबसीरीज पर रोक की मांग को हाईकोर्ट ने नकारा
दिल्ली हाईकोर्ट ने नेटफ्लिक्स पर दिखाई जा रही फ़िल्म गुंजन सक्सेना-द कारगिल गर्ल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है...
नई दिल्ली
हाईकोर्ट ने कहा कि इस फिल्म को रिलीज हुए काफी समय बीत चुका है। जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने वायुसेना को पक्षकार बनाने की जगह गुंजन सक्सेना को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 18 सितम्बर को होगी।
यह याचिका केंद्र सरकार और वायु सेना ने दायर की है। केंद्र सरकार की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा कि ये फिल्म वायु सेना की साख को गिराने वाली है। फ़िल्म में सेना में लिंग आधारित भेदभाव का ग़लत चित्रण हुआ है। तब कोर्ट ने कहा कि आपको काफी पहले आना चाहिए था। हम ये आदेश नहीं दे सकते हैं। कोर्ट ने धर्मा प्रोडक्शन, नेटफ्लिक्स औऱ पूर्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना को नोटिस जारी किया है।
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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि क्या आप स्पाईकैचर केस के बारे में जानते हैं। उस केस में कोर्ट ने रोक लगा दी थी। कोर्ट ने पूछा कि रोक लगाने के अगले दिन हेडलाइन क्या बनी थी। तब धर्मा प्रोडक्शन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि यू ओल्ड फूल्स। तब कोर्ट ने कहा कि वह किताब छपी भी थी।
इसके पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म गुंजन सक्सेना-द कारगिल गर्ल के कुछ डायलॉग हटाने या उसमें बदलाव की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। पिछले 28 अगस्त को चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वो अपनी मांग सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास रखें। याचिका में कहा गया था कि इस फिल्म में वायुसेना की पूर्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना के काम के बारे में गलत बातें कही गई हैं।
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इस फिल्म में वायुसेना के पुरुष अधिकारियों को स्त्री जाति से घृणा करनेवाले के रुप में दर्शाया गया है। याचिका में कहा गया था कि फिल्म में वायुसेना के बारे में कहा गया है कि वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करता है। याचिका में कहा गया था कि इस फिल्म में भारतीय वायुसेना के बारे में कई मनगढ़ंत बातें कही गई हैं। फिल्मकार ने सिनेमा लाइसेंस की आड़ में वायुसेना के बारे में गलत तथ्यों को पेश किया है।
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हिन्दुस्थान समाचार