चित्रकूट : माघ के प्रथम सोमवार से शुरू हुआ लालापुर का मेला
माघ माह मेें प्रतिवर्ष की भाति इस वर्ष भी लालापुर गांव स्थित प्रमुख द्वार प्राचीन वाल्मीकि आश्रम मेें मेला लगा..
हजारों श्रद्धालुओं ने मा अशाम्बरा माता के किये दर्शन
माघ माह मेें प्रतिवर्ष की भाति इस वर्ष भी लालापुर गांव स्थित प्रमुख द्वा रप्राचीन वाल्मीकि आश्रम मेें मेला लगा। यह मेला सोमवार को लगता है।
सुरुवात के प्रथम सोमवार को राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित मंदिर में आस-पास के दो दर्जन से अधिक गांव के हजारों श्रद्धालुओं ने मां आशवर देवी के दर्शन करने के लिए पहुंचे। मेला स्थल पर दुकानें भी लगी है।
जगह जगह भंडारों का आयोजन भी हुआ। जिसमें महिलाएं खरीददारी कर रही है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस फोर्स तैनात रही। मंदिर में महिला पुलिसकर्मियों को भक्तों को नियंत्रित करने में सर्दी में पसीने छूटते रहे। सोमवार को जिला सहित प्रयागराज, कौशाबी, मप्र के रीवा, सतना आदि जिलों से हजारों भक्त दर्शन करने पहुुंचे, जिसमें महिलाओं की संख्या अधिक रही।
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जो प्राचीन वाल्मीकि आश्रम में स्थित मां अशवर देवी के दर्शन किया। मेला स्थल पर जगह- जगह दुकाने खुली हुई है। जिसमें श्रद्धालु खरीददारी किया।। मेला क्षेत्र की व्यवस्था के लिए रैपुरा थानाध्यक्ष शुशील चन्द्र शर्मा के नेतृत्व मेें पुलिस टीम लगी रही।
वही मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं को सामुदायिक शौचालय में ताला बंद होने के चलते नित्य क्रिया जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। मेले में दूर दराज से दुकान लगाने आये दुकानदारों ने दबी जुबान से मेले सुविधाशुल्क लेने का आरोप लगाते हुये बताया कि इस बार मुख्यमंत्री जी के आने के बाद हम लोगो को यह उम्मीद
थी कि हर वर्ष की तरह इस बार सुविधाशुल्क नही देनी होगी किन्तु इस बार भी सुविधाशुल्क ली गयी, इस बारे में जब बाल्मीकि आश्रम के महन्त भरत दास महराज से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि वसूली का मामला मेरे भी संज्ञान में आया है,में विगत वर्षों से इस वसूली प्रथा का विरोध करता आया हूं इस पर मुझे कई बार धमकियां भी मिली है में जल्द ही शासन,प्रशासन से लेकर मुख्यमन्त्री जी को पत्र लिखकर यँहा की यथास्तित से अवगत कराऊंगा।
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महार्षि वाल्मीकि ने स्थापित किया आश्रम
प्राचीन आश्रम वाल्मीकि आश्रम के महंत भरतदास ने बताया कि यह आश्रम महार्षि वाल्मीकि ने स्थापित किया था। इसी स्थल पर माता सीता व उनके पुत्र लव व कुश कई साल तक रहे। वाल्मीकि ने संस्कृत में रामायण भी इसी आश्रम से लिखी।
इस स्थान पर माघ माह में मेला लगता है। इसके अलावा नवरात्रि पर भी मेला लगता है। इस मंदिर की मान्यता है कि मां अशावर देवी के दर्शन से नेत्ररोगों संबधी विकारों में आराम मिलता है।
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70 फीसदी कार्य पूरा हो चुका
महर्षि बाल्मीकि आश्रम के महंत भरत दास महराज ने बताया मुख्यमन्त्री जी द्वारा निर्गत की गयी बाल्मीकि आश्रम की धनराशि से 70 फीसदी कार्य हो चुका है जो बचा है उसका कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।
मुख्य द्वार से लेकर बाल्मीकि आश्रम तक यात्रियों को छाया के लिए तीन सेड निर्माण कार्य लगभग पूरा होने वाला है तथा पेयजल के लिए आश्रम में पानी की टँकी रख दी गयी है जिनमे बोरवेल द्वारा पेयजल की सप्लाई आती आती रहेगी व अन्य शेष कार्यो पर काम चल रहा है।
यह कार्य पूर्ण हो जाने के बाद जल्द ही परिक्रमा मार्ग,व दिव्तीय तमसा बाल्मीकि नदी का सौंदर्यीकरण व वँहा पक्के घाट आरती स्थल बनवाने की मांग की जायेगी।
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