‘इंजीनियर बनना और इंजीनियर होना दो अलग बातें हैं’

काली चरण निगम इन्स्टीट्यूट आफ टेक्नोलाॅजी, बाँदा में आज इंजीरियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के मौके पर बाँदा श्रेष्ठ इंजीनियरों में एक ओम प्रकाश मसुराह का सम्मान कर इंजीनियर-डे मनाया...

‘इंजीनियर बनना और इंजीनियर होना दो अलग बातें हैं’

  • काली चरण निगम इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी में हुआ इंजीनियर का सम्मान

कार्यक्रम का शुभारम्भ विश्वेश्वरैया जी के जीवन परिचय के साथ हुआ। सम्मानित अतिथि के रूप में ओम प्रकाश मसुराह जी ने अपनी धर्मपत्नी राजयोगनी ब्रह्मकुमारी रमाकांती व संस्थान के निदेशक पी. के. चैधरी, स्टूडेन्ट वेलफेयर मैनेजर श्यामजी निगम एवं संस्थान के अन्य शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपनी सहभागिता दी।

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ज्ञातव्य हो कि मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के मौके पर हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स-डे मनाया जाता है। विश्वेश्वरैया पूरी दुनिया के इंजीनियर्स के लिए मिसाल हैं। आपका जन्म 15 सितंबर 1861 को मैसूर के कोलार जिले स्थित चिक्काबल्लापुर तालुक में एक तेलुगु परिवार में हुआ था। उनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत के विद्वान और आयुर्वेद चिकित्सक थे। विश्वेश्वरैया की मां का नाम वेंकाचम्मा था। विश्वेश्वरैया जी को साल 1955 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। न केवल इंडिया बल्कि श्रीलंका व तंजानिया में भी विश्वेश्वरैया जी की याद में इंजीनियर-डे इसी दिन मनाया जाता है।

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सम्मानित अतिथि श्री मसुराह जी ने विश्वेश्वरैया जी के द्वारा  किये गये महान कार्यों को याद किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हमें इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम की डिग्री किसी न किसी ब्रांच जैसे मैकेनिकल, सिविल, आदि में मिलती है, लेकिन मेरा मानना है कि इंजीनियर इंजीनियर होता है उसे ऐसा नहीं मानना चाहिए कि मैं मैकेनिकल का हूँ तो मैं सिविल कार्य क्यों करूँ या सिविल वाले को भी ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि मैं केवल सिविल का ही कार्य करूंगा। एक इंजीनियर के रूप में हमें अन्य क्षेत्र में भी ज्ञान प्राप्त करन चाहिए। उन्होंने कहा की ‘इंजीनियर बनना और इंजीनियरिंग को अपने जीवन में उतार कर आगे बढ़ना ही एक सच्चे इंजीनियर की पहचान है’। यदि में एक फैक्ट्री लगाना चाहता हूँ तो उसके निमार्ण के सिविल इंजीनियर का इन्तजार करूँगा या स्वयं उस फैक्ट्री का निर्माण। उन्होंने कहा कि एक इंजीनियर के जीवन में उसकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई 15 प्रतिशित की काम आती है बाकी उसका अनुभव काम आता है। श्री मसुराह जी ने कहा की किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने का सूत्र है लक्ष्य का निर्णारण करना तथा उसकी प्राप्त तक पूरी लगन एवं निष्ठा के साथ उसकी प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहना, जब तक उसे हासिल न कर लें।

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संस्थान के स्टूडेन्ट वेलफेयर मैनेजर श्याम जी निगम ने कहा कि आज श्री मसुराह जी को सम्मानित कर काली चरण निगम इन्स्टीट्यूट आफ टेक्नोलाॅजी, बाँदा स्वयं सम्मानित हुआ है। श्री निगम जी ने श्री मसुराह जी की जीवन यात्रा का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि कैसे परेशानियों का सामना करते हुए जीवन में सफलता को प्राप्त किया। संस्थान के निदेशक पी. के. चौधरी जी ने श्री मुख्य अतिथि के आगमन के लिए उनका धन्यवाद किया व शाल भेंट कर उनका सम्मान किया। वहीं सुश्री मीना कश्यप ने श्रीमती मसुराह जी को शाल भेंट की। संस्थान तरफ से सम्मानित अतिथि जी को एक पौधा भेंट किया गया।

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कार्यक्रम का संचालन संस्थान की शिक्षिका कोमल पंजवानी ने किया। इस अवसर पर संस्थान के डाॅ. प्रशान्त द्विवेदी, जे.पी. कुशवाह, दीपक यादव, मनीष शुक्ला, अशोक शर्मा, मिनी अवस्थी सहित अन्य शिक्षकगण उपस्थित रहें।

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