बांदा की दुग्ध समितियों होगीं हाईटेक, लगेगी मिल्क कलेक्शन यूनिट
जनपद में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दुग्ध समितियों को हाईटेक किया जा रहा है जिससे दुग्ध उत्पादकों की मुश्किलें आसान होंगी..
जनपद में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दुग्ध समितियों को हाईटेक किया जा रहा है जिससे दुग्ध उत्पादकों की मुश्किलें आसान होंगी। इसके लिए जिले में सक्रिय समितियों में डीपीएमसीयू (डाटा प्रोसेसिग मिल्क कलेक्शन यूनिट) लगाई जा रही हैं।
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मशीनों के जरिए दुग्ध उत्पादों को दूध के भाव की अपडेट जानकारी मिलेगी। वहीं यह मशीन दूध की गुणवत्ता भी पल भर में बता देगी। इससे उत्पादकों को दूध का सही मूल्य मिल सकेगा।
हालांकि जिले में अभी दूध का उत्पादन ज्यादा नहीं है। जिले में मौजूदा समय में करीब एक हजार लीटर दूध हर रोज समितियों में आ रहा है। यहां 200 दुग्ध समितियां हैं। इनमें से 55 समितियां सक्रिय हैं। नरैनी, कालिजर, जसपुरा, करतल, बबेरू, बिसंडा में ये समितियां संचालित हो रही हैं। समितियों में आने वाला दूध मिल्क बूथ के जरिए बेंचा जा रहा है। साथ ही पनीर आदि भी बनाया जाता है।
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बाजार के मुकाबले समितियों में दूध के दाम कम मिलते हैं, लेकिन भुगतान की स्थिति ठीक होने से किसान समितियों में ही दूध देते हैं। इन समितियों को हाईटेक करने के लिए यहां डीपीएमसीयू (डाटा प्रोसेसिग मिल्क कलेक्शन यूनिट) लगाई जा रही हैं। 45 समितियों में अब तक यह मशीनें लग चुकी हैं।
अन्य दस समितियों में इन्हें लगाने का कार्य किया जा रहा है। इस मशीन में 30 सेकेंड में दूध की गुणवत्ता का पता चल जाएगा। साथ ही दूध में फैट, रेट आदि के बारे में पूरी जानकारी आ जाएगी। किस समिति में कितना दूध खरीदा गया, इसकी जानकारी कर्वी मुख्यालय को तुरंत हो जाएगी। चित्रकूट के केंट्रोल पैनल से इसे सीधा जोड़ा गया है।
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इस बारें में उप दुग्ध शाला अधिकारी, बांदा रामशरण बतातें हैं कि डीपीएमसीयू मशीनें लगाई जा रही हैं। इनके जरिए दूध की गुणवत्ता का और इसका बिक्री रेट भी तुरंत सामने आ जाएगा। समितियों से जुड़े सदस्य यहां अपना दूध बेंचते हैं तो उन्हें आसानी से रेट व गुणवत्ता की जानकारी हो जाएगी।